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विशाल भंडारे के साथ मनाया जा रहा है सावन सोमवार – सुरेन्द्र त्रिपाठी

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उमरिया 12 अगस्त – सावन के महीने के आगाज़ के साथ ही…उमरिया के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मढ़ीबाग मंदिर में शुरू हो जाता है…वनभोज …सावन के सोमवार के वनभोज की परंपरा सदियों से इस इलाके में प्रचलित है…श्रद्धालु पूरे नगर को वनभोज में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं…आबादी से 7-8किलोमीटर दूर निर्जन घने जंगल के बीच बने इस मंदिर में हर सोमवार को लगभग हजारों लोग भोलेनाथ की आराधना करते हैं इसके बाद पूरा इलाका जयघोष की आवाज से गूंजने लगता है…देवाधिदेव की पूजा आराधना के बाद शुरू होता है वनभोज….जहां हजारों की तादाद में बच्चों से लेकर बूढ़े और महिलाएं सब जंगल में खाना बनाते हैं और लोगों को  श्रद्धा भाव से खिलाते हैं….

मढ़ीबाह मंदिर उमरिया जिले में ऐतिहासिक धरोहर है…मंदिर कलात्मकता का अनमोल उपहार हैं जिन्हें हमारे उदार संस्कृति वाले अतीत ने हमें सौंपा है….ये मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है…और पूरे इलाके का गर्व हैं….इस मंदिर का शिल्प अपने उदार अतीत की झांकी दिखाता है…काम,धर्म, मोक्ष के जीवन दर्शन की कला को दर्शाते इस मन्दिर में ….प्रेम की उदात्त अभिव्यक्ति के साथ जीवन के हर पक्ष को मूर्तिकारों ने बडी ज़ीवन्तता से पत्थरों पर उकेरा है…मढ़ीबाग का मंदिर कलचुरी वंश के राजा महेन्द्र वर्मा ने लगभग एक हजार साल पहले बनवाया था और यहां जो मन्नत मांगी जाती है वो पूरी होती है।

यहाँ सावन माह के हर सोमवार को श्रद्धालु विराट भंडारा करते हैं, वो इस मान्यता को लेकर चलते हैं कि हमारी मनोकामना भूत भावन भगवान भोले नाथ के आशीर्वाद से पूरी हुई है ऐसे ही श्रद्धालु गणेश गुप्ता और सुनयना गुप्ता हैं ये भी कहते हैं कि हमारी मनोकामना इन्ही भोले नाथ की कृपा से पूरी हुई है इसलिए यहाँ भंडारा कर कर रहे हैं और अब हर वर्ष सावन माह के चौथे सोमवार को करेंगे |

कल्चुरी कालीन ये मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अपने समय के मन्दिरों की बनावट से एकदम अलग हैं…ये मन्दिर एक ऊंचे विशाल प्लेटफार्म पर बना है…मन्दिर के मुख्य कक्ष की छत का मध्य भाग ऊँचाई पर है इस संरचना के अन्दर भी नक्काशियां की गईं हैं…इस मंदिर कोदेखने दूर-दूर से लोग आते हैं और यहां जंगल के बीच शीतल हवाओं और पास के पानी के कुंड का मीठा जल पीने के बाद हर कोई पल भर सुकून से यहां बिताना चाहता है… मढ़ीबाग मंदिर की जोकलात्मक सुंदरता है वो सैकड़ों साल बाद भी लोगों को अचंभित करती है….पर आज ज़रूरत है इस मंदिर की उचित सार-संभाल की ताकि हमारी आने वाली पीढीयां अपने महान सांस्कृतिक अतीत को  देखें और समझ सकें…

हालांकि पुरातत्व विभाग के आधीन होने के बाद भी इसकी सुरक्षा ठीक से नहीं हो पा रही है।

वहीँ उमरिया जिला मुख्यालय में भी सैकड़ों सालों से बनी भगवान सागरेश्वर नाथ की भी मंदिर है और यहाँ भी हर वर्ष श्रद्धालु सावन के माह में भंडारा करते हैं और दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है, यहाँ भोले नाथ के मंदिर के सामने माता पार्वती का मदिर भी बना है जो लोगों को अपनी और आकर्षित करता है |

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