भक्तो की भक्ति की में यदि शक्ति हो, तो भगवान भी उनके लिये अपने आपको तपती आग से निकलकर उनकी मनोकामना पूर्ण करने में पीछे नही हटते है। और हमेशा उनके लिये अडिग से खड़े मिलते है जीं हां ये सच कर देने वाली घटना इंडोनेशिया के ब्रोमो पहाड़ पर स्थित एक ऐसे मंदिर की है जो हमेशा ज्वालामुखी की आग धधकता रहता है। और इसी माउंट ब्रोमो के मुहाने पर 700 साल पहले विघ्नहर्ता गणेश यहां विराजे हैं।
इंडोनेशिया में 141 ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 130 आज भी सक्रिय हैं। पूर्वी जावा का माउंट ब्रोमो उन्हीं में से एक है, जो हजारों वर्षों से धधक रहा है। ब्रोमो पहाड़ पर 2329 मीटर की ऊंचाई पर लावा पत्थरों से गणेशजी बने हैं। आसपास के 48 गांवों के तीन लाख हिंदुओं का विश्वास है कि गणेश उनके रक्षक हैं। पहाड़ के सबसे पास के गांव केमोरो लवांग में हिंदू परिवार रहते हैं, जिन्हें टेंगरेस कहा जाता है। ये खुद को 12वीं सदी के माजपाहित शासक के वंशज कहते हैं। इनकी मान्यता है कि इनके पूर्वजों ने गणेश प्रतिमा की स्थापना की थी। जिस जगह से ज्वालामुखी की चढ़ाई शुरू होती है, वहां काले पत्थरों से बना 9वीं शताब्दी का ब्रह्माजी का मंदिर है।
गणपति की पूजा ना होने से हो सकता है सर्वनाश
दरअसल, ब्रोमो नाम जावा की जैवनीज भाषा में ब्रह्मा को कहते हैं। यूं तो ब्रोमो के पहाड़ों पर सालभर गणपति की पूजा होती है, पर मुख्य आयोजन जुलाई में 15 दिन तक चलता है। पांच सौ साल से ज्यादा पुरानी यह परंपरा ‘याद्नया कासडा’ कहलाती है, जो ज तक चली आ रही है। चाहे ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट ही क्यों न हो रहे हों।
2016 में ज्वालामुखी में जब विस्फोट हो रहे थे। तब भी सरकार ने सिर्फ 15 पुजारियों को पूजा की अनुमति दी थी। पर हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए थे। लोगों का मानना है कि गणपति की पूजा नहीं होने से धरती का सर्वनाश हो सकता है। इसलिये यहां के निवासी बड़ी ही श्रृद्धा भक्ति से नकी पूजा करते है। इंडोनेशिया में गणेश की इतनी मान्यता है कि वहां के 20 हजार के नोट पर भी गणेश की तस्वीर है।