
संरक्षित बैगा जन जाति को वन विभाग ने लगाया करंट, अमानवीय यातनाएं भी दी
उमरिया 11 अगस्त – आदिवासियों का मसीहा कहलाने वाले मामा के राज्य में उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत के मामले में कुछ आदिवासियों को वन विभाग ने पूछताछ करने के नाम पर मानपुर वन विभाग कार्यालय लाया था, पूछताछ के दौरान आदिवासियों को इतना प्रताड़ित कर दिया गया कि उनमें से एक युवक ने डर के मारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया, जब इस बात की जानकारी लगी तो ग्रामीणों ने मानपुर के वन विभाग कार्यालय के सामने शव रखकर विभाग पर मारपीट सहित करंट लगाने एंव अमानवीय यातनाएं देने का आरोप भी लगाया है, घटना के बाद पुलिस जांच में जुट गई है।
मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन के वन ग्राम से जुड़ा हुआ है, 14 मई को मानपुर रेंज के बड़खेरा बीट के कक्ष क्रमांक आर एफ 334 में नाले के ऊपर एक बाघ की मौत हो गई थी, जिसको देखने पर पता चला था कि वो लगभग 6 से 7 दिन पहले मरा होगा, वन विभाग ने जन सम्पर्क के माध्यम से प्रेस नोट जारी किया था कि पूरे अवयवों के साथ बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। लेकिन बाद में पता चला कि मृत बाघ के 4 केनाइन टीथ और 12 नाखून गायब थे।
जिस पर मृतक सुरेश के भाई धीरशाह बैगा ने बताया कि हमको बिना बताए हमारे भाई को रात में 3 बजे फरेस्टगार्ड सुनील और चौकीदार कमलभान ले गए। सातवें दिन हमको पता चला कि भाई फांसी पर लटका हुआ है तब मैं जाकर उतारा हूँ, उसके कमर, सिर, पीठ हर जगह चोट और जलने का निशान था। हम न्याय चाहते हैं, कुत्ता भी लाकर घर मे जांच करवाएं लेकिन कुछ नही मिला फिर भी भाई को ले जाकर मार डाले हैं।
वहीं जगदेव बैगा, महिपाल बैगा और सुखलाल बैगा ने बताया कि हम को भी पूंछतांछ के लिए शक के आधार पर रेंजर, डिप्टी रेंजर ले गए थे जो एक बार बिना मारपीट किये पूंछे और दूसरे दिन छोड़ दिये फिर दुबारा ले गए तो चार – चार लोग मिल कर एक साथ मारते थे, डंडा, जूता, हाथ सब से मारते थे, मुर्गा बना कर पीछे खूंटा गाड़ देते थे और मारते थे जैसे थोड़ा हिलते थे तो पीछे खूंटा घुस जाता था, इसके बाद एस डी ओ मैडम श्रद्धा पन्द्रे सामने बैठ कर पिटवाती थी। मारने में जब मन नही भरता था तो दो डंडा लेकर एक पैर के ऊपर रख कर दो लोग दोनो किनारे खड़े होकर बेलन जैसे बेलते थे और एक डंडा पैर के नीचे से कैंची जैसे फंसाते थे। साहब हम लोग आज भी चल नही पाते हैं, पैर के तलवे में डंडा से मारते थे। 5 तारीख को फिर से लेने आये थे तो सुरेश जंगल वालों को देख कर डर के मारे भाग गया था और बाद में उसकी लाश पेड़ पर लटकती मिली थी हमको लगता है कि जंगल वाले उसको मार कर लटका दिए हैं।हम लोग को भी मार डालेंगे, साहब बचा लीजिए।
अब वहीं ईस मामले में मानपुर टी आई वर्षा पटेल बताईं कि जांच की जा रही है। गौरतलब है कि वन विभाग की अमानवीय यातनाएं से भयजदा आदिवासी खौफ में जीने को मजबूर हैं। वन विभाग की कार्यवाही पर सवाल तो खड़े हो ही गये हैं, जिम्मेदार अधिकारी भी मुंह छिपाते फिर रहे हैं।
एक ओर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को बाघों के संरक्षण के लिए देश भर में अव्वल होने का दर्जा प्राप्त है, वही देश में बैगा जनजाति को भी संरक्षित करने का काम सरकार के पास है, लेकिन बांधवगढ़ में बैगा आदिवासियों और जानवरों में आये दिन मुठभेड़ होती है, इस लड़ाई में जंगल में निवास करने वाला आदिवासी घुन की तरह पिसता है और विभाग द्वारा दिये जाने वाली यातनाओं को सहन करता है, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर पहुंचता है तो आदिवासी का शव किसी पेड़ पर लटकता हुआ मिलता है, जिसे आत्महत्या करार दे दिया जाता है, अब देखना होगा कि संरक्षित जनजाति को बचाया जायेगा या फिर वर्दी के रौब के आगे आदिवासी युवक की मौत मजाक बन जायेगी।



