Home राज्य आखिर कब रुकेगी पत्रकार प्रताड़ना, कब फर्जी तरीके से दमन होगा चौथे...

आखिर कब रुकेगी पत्रकार प्रताड़ना, कब फर्जी तरीके से दमन होगा चौथे स्तम्भ का

480
0

सुरेन्द्र त्रिपाठी

उमरिया 22 सितम्बर – जिले ही नही प्रदेश में लगातार चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर प्रताड़ना का दौर कब रुकेगा। आये दिन किसी न किसी पत्रकार को सच्चाई दिखाने पर नौकरशाहों के हाथों प्रताड़ित होना पड़ता है। प्रदेश की सरकार हो या देश की सरकार हवा हवाई घोषणाएं करती हैं कि किसी भी पत्रकार के मामले में बिना राजपत्रित अधिकारी के जांच किये कोई भी एफ आई आर दर्ज नही की जाएगी लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, कोई भी पत्रकार जहां समाज के सामने सच का आईना दिखाने का प्रयास करता है वही से उसके दमन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और मौका मिलते ही किसी न किसी झूठे मामले में उसको फंसा दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला अभी जिले के पाली में सामने आया, पाली के पत्रकार शेख सरताज दिनांक 18 – 19 सितम्बर की दरम्यानी रात जब मंगठार के एम पी पी जी सी एल अस्पताल मंगठार में एक्सीडेंट की सूचना पर कव्हरेज करने गए तो वहां डियुटी डॉक्टर नदारद रहे और घायल दर्द से तड़फ रहा था तो उनके द्वारा डियुटी में मौजूद नर्स से पूंछा गया कि डॉक्टर साहब कहाँ है घायल कराह रहा है इसका इलाज क्यों नहीं किया जा रहा है, तब नर्स द्वारा डॉक्टर को फोन करके बुलाया गया जिससे डॉक्टर शुभम रैकवार आक्रोशित होकर घायल का इलाज करने की जगह पत्रकार साथी से ही भीड़ गए और उनकी गर्दन पकड़ कर भीतर कमरे में ले जाकर उनके द्वारा बनाये गए वीडियो को डिलीट करने की धमकी देने लगे वहीं यह भी कहे कि तुम्हारे पिताजी बोर्ड में नौकरी करते हैं मैं देख लूंगा और तुमको झूठे मुकदमे में फंसा दूंगा, अभी मेरी ताकत नही जानते हो, और दूसरे दिन वही हुआ, डॉक्टर ने जो कहा वही किया, इतना ही नही जब पत्रकार थाने जाकर पाली टी आई आर के धारिया को अपने साथ घटी घटना का आवेदन देने लगे तो टी आई द्वारा आवेदन लेने से मना कर दिया गया और कहा गया कि कोई रिपोर्ट नही हुई है तुम परेशान मत हो। उसके बाद पाली थाने में अपराध क्रमांक 354/20 धारा 353,294,506 ताहि 3/4 म0प्र0 चिकित्सक तथा चिकित्सा सेवा से सम्बद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा अधिनियम 2008, धारा 3/6 महामारी अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश 2020, के तहत सरताज शेख के ऊपर प्रकरण दर्ज कर लिया गया, उसमे आरोप लगाया गया कि आरोपीगण द्वारा शास0 कार्य में बाधा उत्पन्न करना एवं ऑन डियूटी स्टाफ से झगडा करने व जान से मारने की धमकी देने के पर से, जबकि अकेले पत्रकार के साथ खुद डॉक्टर द्वारा अभद्रता की गई जिसका वीडियो और अस्पताल का सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद है, फिर भी दोषी पत्रकार ही है, वैसे ये कोई पहला मामला नही है पूर्व में भी इसी तरह पाली के पत्रकार हेमन्त तिवारी के ऊपर अपराध क्रमांक 155/20 इन्ही धाराओं में प्रकरण दर्ज करवाया जा चुका है। जबकि अस्पतालों की हालत से पूरा प्रदेश वाकिफ है, मरीज मरते रहते हैं कोई सुनने वाला नही है, वहीं 3 दिन पूर्व ही जिला अस्पताल में ऐसा मामला सामने आया है, धरती के भगवान कहे जाने वाले डियुटी डॉक्टर की लापरवाही से शांति विश्वास की तड़फ – तड़फ कर मौत हो गई लेकिन उनके पास समय नही था कि जाकर देख लेती और ऑक्सीजन लगवा देती, इसी तरह इन धरती के भगवानों की लापरवाही और गलती के चलते आये दिन कितने परिवार उजड़ रहे हैं लेकिन उनके कान पर जूं नही रेंगती, जबकि सेवा में आते ही शपथ दिलाई जाती है कि हम किसी की सेवा में कमी नही छोड़ेंगे, जबकि बहुत से डॉक्टर उस शपथ को निभाते भी हैं, जबकि जिला अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं वहीं जिले के अन्य अस्पतालों में डियुटी डॉक्टर नदारद रहते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो इस पवित्र पेशे को बदनाम कर रहे हैं।
इस मामले में जिला मीडिया संघ के संरक्षक अशोक कुमार सोनी, सुरेन्द्र त्रिपाठी, जिला अध्यक्ष ब्रजेश श्रीवास्तव, अनिल मिश्रा, संजय विश्वकर्मा, योगेश खंडेलवाल, राज कुमार गौतम, नरेन्द्र शर्मा, एवम साथी गण जिले के एस पी विकास कुमार सहवाल को ज्ञापन सौंप कर मामले की जांच करवा कर खात्मा भेजने की बात किये।
वहीं अगर देखा जाय तो शासन और प्रशासन को अपनी खबरें प्रकाशित और प्रसारित करवाने के लिए मीडिया की ही जरूरत होती है, अपनी योजनाओं के प्रचार – प्रसार के लिए बुला कर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, कोरोना काल मे और वैसे भी मीडिया का योगदान किसी से कम नही रहता है वह भी निःस्वार्थ भाव से पूरे देश की मीडिया सेवा देती है लेकिन मीडियाकर्मियों को कोरोनावारियर्स नही माना गया है आखिर ऐसा भेद भाव क्यों ? यदि कोरोना काल के ही बजट की ईमानदारी से जांच करवाई जाय तो जिनको सरकार ने कोरोनावारियर्स की संज्ञा दिया है उनके लिए कोरोना आपदा न होकर अवसर बन गया लेकिन मीडिया ही एक ऐसा था जो बिना किसी स्वार्थ के अपनी जान पर सेवा दिया, कई मीडियाकर्मी शहीद भी हो गए, उनके परिवार तबाह हो गए लेकिन उनके लिए कुछ नही किया गया बल्कि ईमानदारी से भ्रष्टाचार उजागर करने पर प्रताड़ित किया गया और फर्जी अपराध दर्ज करवा कर झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया और लगातार फंसाया जा रहा है। इस मामले में केन्द्र और प्रदेश सरकार को विचार करना चाहिए और अपने नुमाईंदों को निर्देशित करना चाहिए कि पत्रकारों पर प्रताड़ना बन्द करें।

Previous articleमछली पकड़ने के विवाद में गोली चली, एक व्यक्ति घायल, पुलिस ने प्रकरण किया दर्ज
Next articleबांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुआ हाथी महोत्सव का शुभारंभ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here