उमरिया 30 जनवरी – जिले में कक्षा नर्सरी से लेकर 8 तक के बच्चों को बढ़ते शीत लहर के प्रकोप को देखते हुए 2 दिन की छुट्टी तो दे दी गई लेकिन आंगनबाड़ी में जाने वाले नौनिहालों की तरफ जिला प्रशासन और जिला महिला बाल विकास अधिकारी का ध्यान नहीं गया। सूत्रों की मानें तो इस वर्ष आंगनबाड़ी के समय के बदलाव का आदेश भी जारी करने की जहमत जिला महिला बाल विकास अधिकारी द्वारा नहीं उठाई गई। प्रदेश के सभी जिलों में शीत लहर के चलते छुट्टियां तो घोषित कर दी गई लेकिन इन छोटे – छोटे बच्चों की तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी गई। गौरतलब है कि नर्सरी से पूर्व माध्यमिक तक छुट्टी देने से स्वसहायता समूह खाना बनाना भी बंद कर दिए जिसके चलते आंगनबाड़ी के बच्चों को भी भूखा रहना पड़ा। इस मामले में परियोजना अधिकारी सुनेंद्र सदाफल से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि हमने सभी कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि जहां बच्चों को खाना नही मिल पा रहा है वहां आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध पंजीरी और जो भी पोषण आहार हो बच्चों को दिया जाय ताकि उनके पोषण में बाधा उत्पन्न न होने पाए, वहीं जब आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी के बारे में जिला महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती शान्ति बेले से बात किया गया तो वो अपनी कमी छिपाने के लिए अलग ही दलील देने लगीं, कहीं कि हमारे केंद्र 10 बजे के आसपास खुलते हैं और हमारा उद्देश्य बच्चों को भोजन दिलवाना है, इसलिए हमने छुट्टी की तरफ ध्यान नहीं दिया है कि सभी बच्चे केंद्र में पंहुचें और 1 बजे भोजन करके वापस अपने घर चले जाएं। यदि देखा जाय तो जिला महिला बाल विकास अधिकारी महोदया ने स्वसहायता समूह द्वारा दिये जाने की भोजन के तरफ नकेल कसने के प्रयास न कर अपनी कमी छिपाने के दलील देकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लीं, वहीं कटनी, शहडोल, अनूपपुर जैसे सभी जिलों में ठंड के प्रकोप को देखते हुए देश के भविष्य को सुरक्षित करते के लिए 2 दिनों की छुट्टी घोषित कर दिया लेकिन उमरिया जिले में जिला महिला बाल विकास अधिकारी अपनी हठधर्मिता के चलते बच्चों को ठंड में ठिठुरने के छोड़ दीं, ऐसे में बच्चों के अभिभावकों ने जिले के कलेक्टर से अपेक्षा किया है कि जब भोजन भी नही मिल पा रहा है तो हमारे बच्चों को घर पर ही सुरक्षित रहने दें और केंद्रों की छुट्टी कर दें ताकि कोई भी बच्चा बीमार न होने पाए।