सुरेन्द्र त्रिपाठी

जिला प्रशासन के प्रति छोटे – छोटे व्यापारियों में भारी आक्रोश
उमरिया 18 अगस्त – एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री सहायता करने में जुटे हैं और दूसरी तरफ प्रशासन पेट में लात मार रहा – राखी पथ विक्रेता सड़क के किनारे रक्षाबंधन के मौके पर राखी जैसे, और त्यौहार में जरूरत का सामान बेच कर अपना जीवन यापन करने वाले गरीब इंसान की सबसे पहली यही कामना होती है कि वह इतना तो कमा ले कि घर मे चूल्हा जल सके और तीज त्योहारों में बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने उन्हें कपड़े मिठाइयां आदि दिला सके और इसके लिए उसे शायद ही कभी शासन और खासकर सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज से शिकायत रही हो क्योंकि उन्होंने हर समय गरीब और खासकर पथ विक्रताओं के हित में काम किया है लेकिन इसके ठीक विपरीत इन दिनों उमरिया जिले का प्रशासन छोटे छोटे गरीब और रक्षाबंधन पर राखी बेंचकर कमाने खाने वालों के पीछे हाथ धोकर पड़ा है ऐसा कहना है सड़क के किनारे त्यौहारों के समय रोजी रोटी के लिए मेहनत करने वाले पथ विक्रेताओं का पथ विक्रेताओं की माने तो प्रशासन के कर्मचारी उनके साल भर में मात्र एक सप्ताह के लिए सड़क किनारे लगने वाली दुकानों को उखाड़ फेंकने की धमकी दे रहे हैं और तो और नपा द्वारा मुनादी करके डराया जा रहा है। जो उनकी समझ से परे है कि आखिर वो लोग त्यौहार मे एक सप्ताह सड़क किनारे कुछ बेचकर कितना कमा लेते होंगे जो प्रशासन को सिर्फ यही गरीब परेशान करने के लिए नजर आता है? और तो और हद पार तब हो जाती है जब प्रशासन किसी निजी दुकान में भी राखी न बेचने का तुगलकी फरमान सुनाए छोटे व्यापारियों का कहना है उनकी इतनी कमाई नही है कि वह नपा द्वारा दी जा रही प्रतिदिन 250 रुपये की अदायगी वाला स्थल लेकर फिर हजारों रुपए का टेंट और लाइट लगवाकर व्यवसाय कर सकें वह अगर किसी की निजी दुकान से हाथ पैर जोड़कर सहायता के रूप में लेकर उसमें राखी बेंचकर ख़ुशी से त्यौहार निकालना चाहे तो उसपर भी प्रशासन को आपत्ति हो रही है उनका प्रशासन से सवाल है कि किसी निजी दुकान में राखी रखकर बेचने में वो कौन सा अवैध कार्य और गुनाह कर रहे जो उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इतना ही नहीं दूसरी तरफ कलकत्ता से आये बंगलादेशियों को जिला प्रशासन सर पर बैठा कर दुकान लगाने की अनुमति दिया हुआ है जबकि ये लोग सारे नियमों को तोड़ते हुए कोविड गाइड लाइन की खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं और करोड़ों का व्यापार करने वाले ये व्यवसायी जी एस टी के साथ सभी करों की भी चोरी कर शासन को चूना लगाने में भी पीछे नहीं हैं।