सुरेन्द्र त्रिपाठी
उमरिया 12 सितंबर – जिले में जितना कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है उतनी ही लापरवाही अस्पतालों में बरती जा रही है। कल कोरोना से उमरिया जिले के जिस युवक की मौत हुई है उसके बारे में बताया गया कि शहडोल मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी के चलते 4 लोगों की मौत हो गई जिसमें 2 शहडोल जिले के, 1 अनूपपुर जिले के और 1 उमरिया जिले के शामिल हैं। इतना ही उमरिया जिले के एक शासकीय कर्मचारी और उनके दो पुत्रों को भी शहडोल में भर्ती किया गया है लेकिन उनको भी सही ढंग से आक्सीजन नही दिया जा रहा है जबकि उनका आक्सीजन लेबल लगातार घटता जा रहा था, उससे दुखी होकर और सभी से फरियाद करने के बाद मजबूर होकर उनका पुत्र देव प्रकाश सरकारी व्यवस्था की कलई खोलते हुए अपना वीडियो सोशल मीडिया में वायरल किया, जिसने साफ – साफ कहा कि जिनकी मौत हुई है उनको भी आक्सीजन नही मिला और मेरे पिताजी को भी आक्सीजन नही मिल रहा है,

जिसके लिए सरकार से और सभी जिम्मेदारों से गुहार लगाता रहा। वहीं उमरिया जिले के पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत भी बद से बदतर है, भले ही जिले के कलेक्टर साहब कोई प्रयास करें या पाली बी एम ओ को शोकाज नोटिस दें लेकिन सी एम एच ओ और बी एम ओ के मनमानी रवैये में कोई कमी नही आ रही है, जबकि देखा जाय तो उमरिया जिले से मीना सिंह और अनूपपुर जिले से बेसाहू लाल सिंह कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन शहडोल संभाग के दुर्भाग्य ही कहना पड़ेगा कि संभाग से दो – दो कैबिनेट मंत्री होने के बाद अफसरशाही और जिम्मेदारों की मनमानी पर अंकुश नही लग पा रहा है, चाहे मेडिकल कालेज के डीन हों या जिला अस्पताल के सी एम एच ओ अथवा ब्लाक स्तर के बी एम ओ हों सभी के लिए लोगों के जान की कीमत कुछ भी नही है लेकिन जिस घर का सदस्य जाता है उससे ही पूँछें, ऐसा लगता है कि सभी पैसे के आगे मानवीय संवेदनाओं को खो चुके हैं। इसी तरह पाली सामुदायिक केंद्र में पाली प्रोजेक्ट निवासी शिव कुमार सिंह अपना वीडियो वायरल कर पूंछ रहा है कि क्या मैं ठीक हो गया हूँ,

हुआ यह कि ये व्यक्ति 30 अगस्त को डॉक्टर व्ही के जैन से मिला और अपनी तकलीफ बताया तो उसको दूसरे दिन अर्थात 1 सितम्बर को अस्पताल बुलाया गया और कोरोना टेस्ट कराया गया उसके बाद वापस घर भेज दिया गया, फिर 8 सितम्बर को फोन से सूचना दिया गया कि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है आप घर मे रहना हम लोग लेने आ रहे हैं, रात में 8 बजे लेकर अस्पताल आये और 2 दिन बाद 11 सितम्बर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, कहा गया कि आप ठीक हो गए हैं घर मे रहना, जबकि अभी तबियत ठीक नही है, वहीं डॉक्टर जैन से पूंछने पर कहा गया कि जिस दिन टेस्ट होता है उस दिन से भर्ती मान लिया जाता है आपके 10 दिन पूरे हो गए हैं अब आप ठीक हैं, उसके बाद दुबारा जब हम डॉक्टर जैन साहब को फोन लगाते हैं तो रांग नम्बर कह कर फोन काट दिया जाता है, जबकि अभी मेरी तबियत ठीक नहीं है। वहीं प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस कर लोगों को विश्वास दिला रहे हैं कि आक्सीजन की कमी नही है, लोगों के इलाज में कोई कमी नही हो रही है दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्य मंत्री भी मरीजों के बेहतर इलाज की दुहाई देते नही थक रहे हैं दूसरी तरफ उनके नुमाइंदे लोगों की जान लेने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री से कह रही है कि जन हितैषी मुख्यमंत्री जी आपके मंत्री तो अपना भला देखने मे व्यस्त हैं आप तो कम से कम चुनाव के बीच से थोड़ा सा समय गरीब जनता के लिए दे दीजिए, जब जनता ही नही बचेगी तो आपको वोट कौन देगा।