सुरेन्द्र त्रिपाठी
उमरिया 4 सितम्बर – जिले में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, वहीं कोरोना शहर के साथ जिला अस्पताल तक पहुंच गया, हॉस्पिटल स्टाफ में कई लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, आई डी एस पी का कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव निकल चुका है, वहीं नर्स हों या वार्ड बॉय कोई भी अछूता नही रहा। इतने के बाद भी जिला अस्पताल के पूरे कर्मचारियों का अभी तक कोरोना टेस्ट नही हो सका है। जिला अस्पताल के जिम्मेदार भी कोरोना टेस्ट करवाने में किनारा काट रहे हैं जबकि सी एम एच ओ डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव खुद आई डी एस पी में डेरा डाले रहते हैं, इतना ही नहीं कलेक्टर कार्यालय हो या कमिश्नर कार्यालय सभी जगह बैठकों में जाते हैं, विभागीय विडियोकांफ्रेन्सिंग में भी जाते हैं, कहीं ऐसा न हो कि जिले के अधिकारियों में भी संक्रमण फैल जाय। साथ ही जिला अस्पताल में देखा जाय तो लापरवाही का आलम यह है कि ठीक ढंग से वार्ड, ओ पी डी, मिनीं ओ टी, इंजेक्शन रूम, लैब, और या कहा जाय कि पूरा अस्पताल सेनेटाइज नहीं किया जाता है, यदि पट्टी कक्ष में देखें तो वहां मास्क, सेनेटाइजर कुछ भी नही है, वार्ड बॉय, नर्सें, आया, सुरक्षा गार्ड, ड्रेसर, या कहें कि डाक्टर से लेकर सारा स्टाफ बिना मास्क और सेनेटाइजर के नजर आता है। जिला अस्पताल में यदि कोई जाता है तो उसके भी संक्रमित होने का खतरा बना है, वहीं जिले के सी एम एच ओ डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव जन सम्पर्क कार्यालय के माध्यम से आये दिन बड़े – बड़े प्रेस नोट जारी करवाते हैं, लोगों को तमाम जानकारियां देकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेते हैं, सारे नियम कानून, सुरक्षा के उपाय आम जनता के लिए जारी करवाते हैं लेकिन खुद अपना कोरोना सैम्पल करवाने में डर के मारे नही करवाते हैं, वहीं सूत्रों के मुताबिक कागजों में लाखों का मास्क सेनेटाइजर खरीदा गया लेकिन जिला अस्पताल के कर्मचारियों के हाथ खाली हैं, वो अपनी जिंदगी दांव पर लगा कर सेवा दे रहे हैं। ऐसे में तो जिला अस्पताल में आने वाले गरीब और निरीह पीड़ित लोग कहीं संक्रमण का शिकार न हो जाएं। वहीं अगर देखा जाय तो जिला अस्पताल में कोरोना के नाम पर बहुत से भर्तियां हुई हैं लेकिन वह कर्मचारी भी कागज में नजर आ रहे हैं, रात्रि डियुटी में बस दो अस्थायी वार्ड बॉय ही नजर आते हैं, जबकि ढेरों नियुक्तियां हुई हैं, वो सभी कहाँ सेवा दे रहे हैं इसकी जानकारी किसी को नही है।
गौरतलब है कि जिले की मंत्री और विधायक, कलेक्टर किसी को भी जिला अस्पताल की कारगुजारियों का कुछ भी पता नहीं है सभी को सी एम एच ओ द्वारा झूठी जानकारी देकर बरगलाया जाता है। ऐसे में आवश्यकता है उच्चस्तरीय जांच की ताकि सच्चाई सामने आ सके और अस्पताल से फैलने वाले संक्रमण को रोकने की व्यवस्था हो सके।