उमरिया – जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर आकाशकोट ग्राम कटरिया में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के देश का भविष्य कहे जाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चे पढ़ते हैं और विद्यालय का भवन इतना जर्जर है कि कभी भी कोई अनहोनी की आशंका से नकारा नही जा सकता है। छत तो कहिये ही मत पानी ऐसा टपकता है जैसे रिमझिम – रिमझिम बारिश हो रही हो।
हालांकि जिले की गैर जिम्मेदार डीपीसी सुमिता दत्ता को इन सबसे कोई मतलब नही है, उनको तो बस अपने यहां प्राप्त बजट देखना है, जिले में क्या हो रहा है, इससे कोई मतलब नही है, बस कागजी खाना पूर्ति होनी चाहिये। वैसे जिले में जिस ढंग से भ्रष्टाचार मुंह सुरसा की तरह मुंह फैलाये हर विभाग में नजर आता है उस हिसाब से यह भवन कुछ नही है।
टूटी छत
वहीं अगर देखा जाय तो प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भवन बनवाने में कोई कसर नही छोड़ते हैं, बस भवन करोड़ की लागत का होना चाहिए जिसमें कुछ ठीक ठाक बचत हो सके। ऐसे में वो भला दो चार लाख के भवन के लिए ध्यान भी कहाँ देंगे और उनकी कर्तव्यनिष्ठ डीपीसी भी हर स्थितियों को भांपते हुए इस छोटे से स्कूल भवन के लिए बजट मांग भी क्यों करेंगी।
भगवान न करें कोई अनहोनी हो, नही तो कुछ मुआवजा की घोषणा कर सभी अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेंगे।
हालांकि इस विद्यालय के छत की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है, इस जुलाई में ही आये दिन पानी बरस रहा है और बेचारे बच्चे इस कोने से उस कोने में अपने आप को भीगने से बचाने के लिए भागते रहते हैं, कारण है उनको पढ़ कर कुछ बनना जो है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि अब तो छत से नीचे गिट्टी गिर रही है जिससे बैठने में दिक्कतें आ रही है और जिम्मेदार आंख बन्द कर किसी अनहोनी का इंतजार करते बैठे हैं, सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां कभी कोई निरीक्षण करने नही आता है।
देखा जाय तो आकाशकोट हमेशा से पानी की किल्लत से जूझता आ रहा है और दूसरी तरफ
नन्हे मुन्नों में पढ़ने की ललक, ऊपर से फूटी छत, स्कूल में बाउंड्री वाल नही, सामने रोड, दिन भर वाहनों का आना जाना, छोटे छोटे बच्चे किसी कदर विद्यालय से बाहर तो निकलते ही हैं। अभी हाल ही में बता दें कई घटनाओं से बच्चे बचे हैं भगवान ना करे ऐसी कोई घटना घटे।
इतना ही नही वहां पर बनी रसोई की भी स्थिति बद से बदतर है, खैर यह कोई बड़ी बात नही है जब विद्यालय भवन ही जर्जर हो तो रसोई कैसी होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्रामीणों ने विद्यालय की स्थिति सुधारने के लिए जिले के कलेक्टर,सीईओ जिला पंचायत, डीपीसी, जिला शिक्षा अधिकारी,
जनपद पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, विधायक से मांग किया है कहा है कि हम आदिवासियों के बच्चों का भविष्य ध्यान में रख कर जल्द से जल्द विद्यालय भवन की व्यवस्था की जाय।