चीन द्वारा अमेरिका के 75 बिलियन डॉलर (5.4 लाख करोड़ रुपए) के उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले से इतने बौखलाए कि उन्होनें कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी कंपनियों को चीन से अपना कारोबार समेटने का आदेश दे दिया।
ट्रम्प ने ट्वीट करके कहा, ‘‘हमारे देश ने बेवकूफी में चीन से कारोबार करके अरबों डॉलर गंवा दिए। चीन हमारी बौद्धिक संपदा चुराकर हर साल अरबों डॉलर कमा रहा है और वह ऐसा करता रहना चाहता है। लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमें अब चीन से किसी भी प्रकार से जुड़ने की जरूरत नहीं है। सच तो यह है कि उनके बिना हम ज्यादा बेहतर अपना व्यापार कर सकते है। ट्रम्प के इस ऐलान के बाद ही अमेरिकी बाजार चार घंटे में 3% तक नीचे गिर गया।
‘दूसरे देशों में जाकर चीन का विकल्प ढूंढें’
ट्रम्प ने कहा- ‘‘मैं उन बड़ी से बड़ी अमेरिकी कंपनियों को आदेश देता हूं कि वे अपना कारोबार चीन से वापस ले आएं। वे तत्काल प्रभाव से दूसरे देशों में जाकर चीन का विकल्प ढूंढे। यह अमेरिका के लिए बड़ा मौका है।’’ ट्रम्प ने इसके साथ ही फेडएक्स, अमेजन, यूपीएस से कहा कि वे चीन से आने वाली फेंटानिल दवा का अवागमन बंद कर दें। इन दवाओं का इस्तेमाल करने से हर साल एक लाख अमेरिकियों की मौत हो रही है।
एक्सपर्ट ने कहा- अमेरिकी कंपनियां चीन से हटती हैं तो भारत को फायदा
अमेरिकन चेंबर ऑफ कॉमर्स के रीजनल प्रेसिडेंट असीम चावला ने कहा, ‘‘ट्रम्प के इस बड़े निर्णय से यदि अमेरिकन कंपनियां वाकई में अपना कारोबार चीन से समेट लेती है तो यकीनन भारत को काफी बड़ा फायदा होगा। लेकिन, यह कहना भी गलत होगा कि चीन से निकलकर सारी अमेरिकी कंपनियां भारत का ही रुख करेंगी। टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के लिए बांग्लादेश, वियतनाम और भारत विकल्प हो सकते हैं। नेचुरल रिसोर्स वाली कंपनियां भी भारत को वरीयता दे सकती हैं। जिस सेक्टर की कंपनियों के लिए जो देश अनुकूल होगा, वे कंपनियां वहां जा सकती हैं। ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां भारत आ सकती हैं।’’