उमरिया – जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। वन विभाग की लापरवाही और कुप्रबंधन का लगातार शिकार होता जा रहा है। अभी 5 दिन पूर्व एक बाघिन की मौत देवरी बीट में हुई थी और आज फिर देवरी बीट के कक्ष क्रमांक पी एफ 363 में एक बाघ का सड़ा गला शव मिला। हालांकि मानपुर रेंजर मुकेश अहिरवार ने बताया कि बाघ का शव मिलने की सूचना पर तत्काल उच्च अधिकारियों को सूचना देकर घटना स्थल की घेराबंदी करवाई गई, मैटल डिटेक्टर से जांच की गई, डॉग स्क्वायड से सर्च करवाया गया, मृत बाघ के सारे अवयव पाए गए और एनटीसीए की गाइड लाइन के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया गया।
वहीं जब टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नितिन गुप्ता से बात किया गया तो उनका कहना है कि देवरी में 17 तारीख को हमने जिसका पोस्टमार्टम किया है यह उसके पहले का मरा हुआ लगता है, इसके सारे अंग गल गए थे इसकी उम्र लगभग 12 वर्ष रही होगी इसके दांत, नाखून वगैरह सभी कुछ वहीं पड़े थे इसका पोस्टमार्टम कर कुछ फोरेंसिक जांच के लिए प्रिजर्व कर दिया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि जब रोज पेट्रोलिंग होती है तो कई दिन पूर्व मरे हुए बाघ की दुर्गंध गश्ती दल को क्यों नही लगी और 5 दिन पूर्व गांव के पास बैठी मरणासन्न बाघिन ग्रामीणों की सूचना पर दिख गई लेकिन इस बाघ की सूचना किसी ग्रामीण ने नही दिया इसलिए पता नही चला भले ही कागजों में पेट्रोलिंग होती रही है। यदि यही हाल रहा तो नवम्बर में पार्क खुलने पर पर्यटक बाघ दर्शन के लिए तरस जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ देखा जाय तो चीतों के मरने की खबर पर तत्काल पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की जबाबदारी तय करते हुए उनको हटा दिया गया लेकिन बाघों की लगातार हो रही मौतों पर वन मंत्री और प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नही रेंग रही है।