उमरिया – जिले के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र के एक बन्द कुएं से बाघ की सैकड़ो हड्डियां बरामद की गई है। हड्डियों को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये हड्डियां कई बाघो की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघ की हड्डियां के बारे में जानकारी मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। प्रबंधन ने आनन फानन में कुएं से बाघ की हड्डियों को निकालकर मामले को दबाने के लिए चोरी छिपे दफन करने के फिराक में है।
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है वह बेहद चौकाने वाली है। बताया गया कि 1 अप्रैल को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी बीट के कक्ष क्रमांक 299 के पास छपराहार में काफी समय से बंद पड़े कुएं से बाघ की 150 से ज्यादा हड्डियों को बरामद किया गया है। जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हड्डियां एक नही बल्कि कई और बाघो के है। इस जानकारी के बाद प्रबंधन सकते में आ गया तो वहीं आनन फानन में बाघ की हड्डियां कुएं से निकलवाकर गुपचुप तरीके से पता लगाने में जुटे है।
बरामद हड्डियां
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इतनी बड़ी मात्रा में बाघ की हड्डियां बरामद होना प्रबंधन पर सवालिया निशान लगा रहा है। वहीं खास बात यह है कि बांधवगढ़ में बाघों की देखरेख के लिये इतना बड़ा अमला तैनात है फिर भी इस तरह की घटना प्रबंधन की नाकामी उजागर कर रहा है। यह कहना लाजिमी होगा कि हमेशा से शिकारियों की नजर बांधवगढ़ में रही है। ज्यादातर बाघ और जानवरों के मरने की वजह अवैध शिकार ही रहा है। कोई भी घटना होने पर बांधवगढ़ प्रबंधन द्वारा रटे रटाये जवाब में हमेशा आपसी संघर्ष में बाघ की मौत होना बताया जाता रहा है हालांकि उनकी यह बात हमेशा ही झूटी साबित हुई है। लेकिन इस घटना ने तो सभी को अचंभित कर दिया है।
सूत्र बताते है कि घटना स्थल मगधी गांव की तरफ का है जहां से नजदीक छपराहार क्षेत्र में जंगल के अंदर काफी समय से बंद पड़े कुएं में 150 से ज्यादा बाघ की हड्डियों को बरामद किया गया है इसमें खास बात यह है कि बरामद हड्डियों में बाघ का सिर और पंजा गायब है जिस आधार पर निश्चित रूप से पूरा मामला शिकार से जुड़ा है क्योंकि शिकारी बाघ का शिकार कर उसका पंजा, सिर और उसकी खाल ले गये होंगे और बाकी हिस्सा कुएं में डाल गए होंगे। मामले में प्रबंधन जिस तरीके से चुप्पी साधे हुये है, निश्चित रूप से उसका प्रयास यहीं होगा कि मामले को किस तरीके से दबाया जाय।
हालांकि इस मामले में बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन का कहना है कि 1 अप्रैल को कुएं से बरामद हुई बाघ की हड्डियां 5 साल पुरानी है और बाघ के सभी अंग मौजूद है। आगे की कार्यवाही एनटीसीए की गाइडलाइन और प्रोटोकाल के तहत की जा रही है। हड्डियां जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजी जाएगी।
गौरतलब है कि 1998 – 99 के दौरान शिकारियों ने विश्व प्रसिद्ध सीता शेरनी का शिकार कर उसकी हड्डियों को पार्क के भीतर ही सलैंधा तिराहे के पास नाले में पत्थरों के नीचे छिपाए थे और उस समय तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर असित गोपाल कहे थे कि यहां पोचिंग होती है और आज जब यह हड्डियां कुंए से बरामद हुई तो उनकी बात सही लगने लगी। वहीं देखा जाय तो पार्क प्रबंधन मात्र कागजों में सारी देखरेख कर रहा है, कागजों में सारी गश्ती होती है और फर्जी तौर पर डीजल की खपत होती है जिसके बिल निकल जाते हैं। यदि ठीक से गश्ती होती तो इस तरह कुंए से हड्डियां नही मिलती। इस आधार पर तो पता नही अभी और कितने कुंए होंगे जहां हड्डियां दबी होंगी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को यदि बचाना है तो केंद्र सरकार को विशेष जांच दल गठित कर निष्पक्ष जांच करवाना होगा।