संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अधिकारी प्रदेश सरकार को सद्बुद्धि के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहे हैं कि प्रदेश के मुखिया को भगवान सद्बुद्धि दें और हमारी मांगो को मान लें। इसी कड़ी में सुन्दरकाण्ड का भी पाठ किये उसके बाद चंदिया जाकर नौगजा बाबा की मजार पर चादर भी चढ़ाए कि शायद कोई उनको सद्बुद्धि दे दें।
इतना ही जिले से सैकड़ों की तादात में 8 मई को भोपाल पहुंच कर वहां भी प्रदर्शन करेंगे।
उमरिया – जिले के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष निपेन्द्र सिंह ने बताया कि हम लोग पूर्व में भी हड़ताल पर जा चुके हैं एवं हमको आश्वासन दिया गया था कि आपकी मांगे पूरी की जायेंगी लेकिन आज तक हमारी मांगो को पूरा नही किया गया है जिसके चलते हम सभी लोग 27 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं और जब तक मांग पूरी नही होगी तब तक हम नही उठेंगे। अब हमारे सामने मरता क्या न करता वाली स्थिति आ गई है जिसके कारण हम भर नही पूरे प्रदेश के हमारे संविदा कर्मचारी अधिकारी साथी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने संविदा कर्मचारियों के लिए 05.06.18 की नीति प्रदेश सभी विभागों में सामान्य प्रशासन विभाग के नोटिफिकेशन क्रमांक / सी-5/2018/1/3 दि. 05.06.18 द्वारा लागू की गई है इसका लाभ प्रदेश के 32000 एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों एवं उनके परिवारों को क्यों नहीं मिल पा रहा यह प्रशासन की संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है इसको लेकर प्रदेश के 32000 परिवारों जिनकी जनसंख्या लगभग 150000 के आस पास है के सामने जीवन मरण का प्रश्न उपस्थित हो गया है।
हमारी प्रमुख मांगे निम्न है-
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारी एवं कर्मचारियों को नियमित किया जाए। जब तक नियमितिकरण नहीं हो पाता है तब तक 5 जून 2018 की म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति तत्काल प्रभाव से लागू की जाए एवं सीएचओ को MLHP कैडर के तहत नियमित किया जाए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउट सोर्स प्रथा में किए गए सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए अथवा विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए एवं निष्कासित कर्मचारियों को शत प्रतिषत वापस लिया जाए।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा 15.12.22 से 03.01.2023 तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन संविदा कर्मचारियो पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए है वह तत्काल वापस लिए जावे।
गौरतलब है कि चुनावी वर्ष में यदि इनकी मांग पूरी नही होती है तो कहीं वर्ष 2003 में जो दिग्विजय सरकार की स्थिति हुई थी वही स्थिति फिर न हो जाये, हालांकि इस बार प्रदेश की जनता को तीसरा विकल्प भी मिल रहा है। वह है आम आदमी पार्टी का जो पूरी तरह से कमर कस कर हर विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है।