Home राज्य फिर एक बाघ ने की आत्महत्या पार्क प्रबंधन ने बताया आपसी लड़ाई...

फिर एक बाघ ने की आत्महत्या पार्क प्रबंधन ने बताया आपसी लड़ाई का नतीजा

60
0

फिर एक बाघ ने की आत्महत्या पार्क प्रबंधन ने बताया आपसी लड़ाई का नतीजा
उमरिया 18 नवंबर – उप संचालक बांधवगढ टाईगर रिज़र्व लवित भारती ने बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर बफर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक पी-145 में पेट्रोलिंग (गश्ती) के दौरान एक नर बाघ (टी-37) का शव देखा गया। गश्ती दल द्वारा घटना स्थल पर अन्य बाघ को भागते हुये देखा गया। सूचना मिलने पर वरिष्ठ वनाधिकारियों एवं सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ को सूचना दी गई। सूचना मिलने पर उप संचालक, सहायक संचालक, सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ, पशु चिकित्सा अधिकारी उमरिया एवं एन टी सी ए के प्रतिनिधि सत्येन्द्र तिवारी ताला, एन जी ओ सी एम खरे तत्काल मौके पर पहुंचे। डॉग स्क्वाड एवं मैटल डिटेक्टर से क्षेत्र के आस पास सर्च कराई गई। चूंकि यह घटना धमोखर परिक्षेत्र के ग्राम परासी के पास की है, अतः परासी ग्राम के ग्रामीणों को घटना स्थल की ओर न जाने की हिदायत दी गई है।
घटना स्थल पर उपलब्ध साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया नर बाघ का बाघों के आपसी संघर्ष में मारा जाना प्रतीत होता है। उक्त मृत नर बाघ की उम्र लगभग 10 वर्ष है। मृत बाघ के सभी अंग सुरक्षित पाये गये। बांधवगढ़ वन्य जीव चिकित्सक के दल, जबलपुर चिकित्सक एवं मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त शहडोल के उपस्थिति में पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम में भी आपसी संघर्ष में मारा जाना पाया गया है एवं फौरंसिक जॉच हेतु नमूने सुरक्षित किये गये। मुख्य वन संरक्षक शहडोल एनटीसीए के प्रतिनिधि एन जी ओ एवं पार्क अधिकारियों की उपस्थिति में बाघ के शव को जलाकर नष्ट किया गया।
गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कुप्रबंधन के चलते बाघों की लगातार मौत हो रही है वैसे यह सत्रहवीं मौत है, इतने के बावजूद प्रदेश के वन मंत्री लगातार प्रबंधन को शाबासी देते नही थकते, अब तक जितने भी बाघों की मौत हुई है, उनमें से किसी का खुलासा नहीं हुआ कि कारण क्या था। बस प्रबंधन के पास एक ही जबाब रहता है कि आपसी लड़ाई में मौत हुई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि दूसरा बाघ कहाँ और किस हाल में है, जिससे लड़ाई हुई है, हालांकि इस बार पार्क प्रबंधन स्वयं के झूठ से ऊब कर एक कड़ी और जोड़ दिया है कि गश्ती दल को देख कर दूसरा बाघ भाग गया और गश्ती दल देखता रहा। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो प्रबंधन ही जाने या गश्ती दल। या फिर मृतक बाघ अकेले ही दोनो का काम करता है और बाद में आत्म ग्लानि के चलते खुद अपने शरीर पर चोट मार कर मर जाता है और बाद में प्रबंधन को मैसेज कर देता है कि हमारी बॉडी यहां पर पड़ी है आकर अंतिम संस्कार कर देना। इसके लिए एन टी सी ए हो या अन्य एजेंसियां जो भी हो प्रबंधन की पिट्ठू बन कर रह गई हैं और बने भी क्यों न, आखिर उनकी रोजी रोटी जो वहां से चलती है, बाघ संरक्षण सप्ताह मनाए जाने का औचित्य समझ मे नही आता है। वहीं यदि देखा जाय तो पार्क प्रबंधन बाघ की मौत की सूचना मीडिया को देना मुनासिब नहीं समझता है क्योंकि सच्चाई उजागर हो जाएगी इसलिए अंतिम संस्कार के बाद औपचारिकता निभाते हुए एक प्रेस नोट जारी कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेता है। एक तरफ सरकार पारदर्शिता की बात करती है तो दूसरी तरफ अपने नुमाइंदों को इसकी सीख नही देती है, यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नही जब आने वाली पीढ़ी किताबो में पढ़ेगी कि हमारे देश मे बाघ हुआ करते थे।

मृत बाघ
Previous articleटीकाकरण का सच घोर लापरवाही आई सामने
Next articleबांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली परिक्षेत्र सेें जंगली हाथी को पहली बार किया गया रेस्क्यू

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here