उमरिया – जिले भर नही समूचे मध्यप्रदेश में सहकारी समितियों द्वारा संचालित उचित मूल्य दुकान के प्रबंधक एवं कर्मचारी सभी अपनी मांगों को लेकर 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार लगभग सभी को गुड़ की जलेबी देने में लगी हैं लेकिन इनसे बात करने को भी तैयार नही है। जिसके चलते जिले में 153 उचित मूल्य दुकान जिनका संचालन लैम्प्स और पैक्स द्वारा किया जा रहा है, सभी बन्द हैं।
उन्होंने अपनी दुकानों पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का कागज भी चस्पा कर रखा है। हालांकि जिले में उपभोक्ता भंडार, स्वसहायता समूह एवं अन्य निजी संस्थाओं एवं लैम्प्स और पैक्स द्वारा संचालित दुकानों को मिला कर 261 दुकान हैं। 108 दुकानों में माह अगस्त के गेंहू, चावल, शक्कर और नमक का वितरण शत प्रतिशत हो चुका है लेकिन 153 दुकानों से एवरेज वितरण 30 से 35 प्रतिशत ही हो पाया है।
एक तरफ तो प्रदेश के मुखिया चुनाव आते ही प्रदेश की बहनों के सबसे बड़े शुभचिंतक भाई होने के दावा करते हैं दूसरी तरफ उनकी बहनों की थाली खाली रह गई। उसकी चिंता नही कर रहे हैं।
अभी निकट भविष्य में सहकारी समितियों की हड़ताल समाप्त होने की संभावना नजर नही आ रही है, क्योंकि सभी हड़ताली कर्मचारी आर – पार की मूड में हैं। यदि यही हाल रहा तो प्रदेश के बहुत सारे परिवार अगस्त माह के खाद्यान्न से वंचित हो जाएंगे।
वहीं खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि माह के अंत तक खाद्यान्न का वितरण नही होता है तो अगले माह की 10 तारीख तक देने का प्रावधान है, लेकिन इनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते माह सितंबर में भी खाद्यान्न का वितरण नही हो पायेगा। ऐसे में प्रदेश के मामा की बहनें और भांजियाँ रक्षाबंधन और कजलियों पर खाद्यान्न और शक्कर से वंचित रह गईं।
जिसको देख कर तो लग रहा है कि प्रदेश में मामा की घोषणा मात्र चुनावी दिखावा है।