Home राज्य फिर हुई एक बाघ की मौत पार्क प्रबंधन ने आपसी लड़ाई का...

फिर हुई एक बाघ की मौत पार्क प्रबंधन ने आपसी लड़ाई का अलापा वही पुराना राग

57
0

फिर हुई एक बाघ की मौत पार्क प्रबंधन ने आपसी लड़ाई का अलापा वही पुराना राग

उमरिया 7 नवंबर – उप संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व लवित भारती ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर कोर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक पी-210 में पेट्रोलिंग (गश्ती) के दौरान साम 4.00 बजे एक नर बाघ का शव देखा गया। सूचना मिलने पर परिक्षेत्र अधिकारी पतौर मौके पर पहुंचे एवं क्षेत्र को सील कर वरिष्ठ अधिकारियों एवं सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ को सूचना दी। सूचना मिलने पर उप संचालक, सहायक संचालक, सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ, पशु चिकित्सा अधिकारी उमरिया एवं एन टी सी ए के प्रतिनिधि सी एम खरे तत्काल मौके पर पहुंचे। डाग स्क्वाड एवं मैटल डिटेक्टर से क्षेत्र के आस पास सर्च कराई गई। थोड़ी दूर (लगभग 500 मी.) एक नर बाघ, एक मादा बाघ एवं दो बच्चे की उपस्थिति के साक्ष्य देखे गये। चूंकि यह घटना पतौर परिक्षेत्र के बमेरा ग्राम के पास की है तथा उक्त क्षेत्र नर, मादा बाघ एवं बच्चों की उपस्थित है। ग्रामीणों को घटना स्थल की ओर न जाने की हिदायत दी गई है।
घटना स्थल पर उपलब्ध साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया नर बाघ का बाघों के आपसी संघर्ष में मारा जाना प्रतीत होता है। उक्त मृत नर बाघ की उम्र लगभग 4 से 5 वर्ष है। मृत बाघ के सभी अंग सुरक्षित पाये गये। बांधवगढ़ सहायक वन्य जीव शल्यज्ञ एवं जबलपुर के डाॅक्टर की संयुक्त टीम द्वारा पोस्टमाटर्म किया गया। फोरेंसिक जाॅच हेतु नमूने सुरक्षित किये गये। सक्षम अधिकारियों एनटीसीए के प्रतिनिधि एन जी ओ एवं पार्क अधिकारियों की उपस्थिति में बाघ के शव को जलाकर नष्ट किया गया।
गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कुप्रबंधन के चलते बाघों की मौत हो रही है और प्रदेश के वन मंत्री लगातार प्रबंधन को शाबासी देते नही थकते, अब तक जितने भी बाघों की मौत हुई है, उनमें से किसी का खुलासा नहीं हुआ कि कारण क्या था। बस प्रबंधन के पास एक ही जबाब रहता है कि आपसी लड़ाई में मौत हुई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि दूसरा बाघ कहाँ और किस हाल में है, जिससे लड़ाई हुई है या फिर मृतक बाघ अकेले ही दोनो का काम करता है और बाद में आत्म ग्लानि के चलते खुद अपने शरीर पर चोट मार कर मर जाता है और बाद में प्रबंधन को मैसेज कर देता है कि हमारी बॉडी यहां पर पड़ी है आकर अंतिम संस्कार कर देना। इसके लिए एन टी सी ए हो या अन्य एजेंसियां जो भी हो प्रबंधन की पिट्ठू बन कर रह गई हैं।बाघ संरक्षण सप्ताह मनाए जाने का औचित्य समझ मे नही आता है। वहीं यदि देखा जाय तो पार्क प्रबंधन बाघ की मौत की सूचना मीडिया को देना मुनासिब नहीं समझता है क्योंकि सच्चाई उजागर हो जाएगी इसलिए अंतिम संस्कार के बाद औपचारिकता निभाते हुए एक प्रेस नोट जारी कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेता है। एक तरफ सरकार पारदर्शिता की बात करती है तो दूसरी तरफ अपने नुमाइंदों को इसकी सीख नही देती है, यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नही जब आने वाली पीढ़ी किताबो में पढ़ेगी कि हमारे देश मे बाघ हुआ करते थे।

मृत बाघ
Previous articleउमरार नदी तट पर हुआ दीपदान
Next articleपरीक्षा केंद्र बनाए जाने की मांग को लेकर आये सैकड़ों महिला पुरूष

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here