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बिजली पानी सड़क के मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने किया आमरण अनशन – सुरेन्द्र त्रिपाठी

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बिजली पानी सड़क को लेकर आमरण अनशन

उमरिया 26 सितम्बर – जिले के बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम करही में बिजली पानी सड़क को तरसती ग्रामीण महिलाएं मजबूर होकर आमरण अनशन पर बैठ गई | ग्रामीणों ने कहा जब से भाजपा की सरकार प्रदेश में बनी है तब से हमारे गाँव का कोई विकास नहीं हुआ है बस कागजों में सारा विकास हो रहा है, 75 साल के बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलता, सौभाग्य योजना में खम्भे खड़े कर दिए गए, बिजली का बिल आने लगा लेकिन खम्भों में तार नहीं है, बारिश के मौसम में 1 किलो मीटर दूर से पानी लाना पड रहा है छोटी – छोटी बच्चियां पानी ढोने में लगी हैं, चुनाव जीतने के बाद विधायक घूम कर नहीं देखे, जनता अब बदलाव की तरफ है, जिला प्रशासन का अमला गया लेकिन मांग पूरी नहीं हो पाई |

आईये देखते हैं प्रदेश में विकास की गाथा सुनाने वाली सरकार के बांधवगढ़ 89 विधान सभा क्षेत्र का विकास –

उमरिया जिले के बांधवगढ़ विधान सभा क्षेत्र 89 में सरकार के बड़े – बड़े सावे खोखले साबित हो रहे हैं 2003 से लगातार ग्राम पंचायत करही के ग्रामीण अपने गाँव में बिजली, पानी सड़क की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं है अब मजबूर होकर महिलाओं ने 19 सितम्बर से आमरण अनशन शुरू कर दिया है | अनशन पर बैठी श्यामवती सिंह का कहना है कि हम लोग रोस, बिजली और पानी के लिए बैठे हैं, अभी एक दिन अधिकारी आये थे तो कहे कि एक तरफ सी सी रोड बना देंगे और बाकी मुरम वाली बोल कर चले गए काम नहीं शुरू हुआ, पानी 1 किलो मीटर से लाते हैं जब से भाजपा सरकार आई है तब से कुछ काम नहीं हुआ है, विधायक चुनाव जीतने के बाद एक भी बार नहीं आये हैं अब हम उसको बदलेंगे, जब तक मांग पूरी नहीं होगी अनशन समाप्त नहीं होगा | वहीँ अनशन बैठी माही बाई का कहना है कि आज 6 दिन से हम लोग बैठे हैं सी ई ओ साहब, एस डी ओ साहब आये कहे कि एक रोड को सी सी और एक रोड को मुरुम रोड बनायेंगे और काम शुरू नहीं हुआ हम लोग तीनो रोड को सी सी रोड बनाने की मांग कर रहे हैं शुरू से ही यहाँ सी सी रोड नहीं है बिजली की समस्या है, पानी कि समस्या है, शादी के समय में कही से कर्ज लेकर टैंकर से पानी मंगवाते हैं, जीतने के बाद विधायक दुबारा लौट कर नहीं आये वोट लेने भर आये थे और हम लोग तब तक नहीं उठेंगे जब तक हमको गारंटी नहीं देंगे, नहीं तो हम लोग बैठे ही रहेंगे |

अब ज़रा गाँव में पानी कि स्थिति पर नजर डालें तो यहाँ बस्ती से दूर तालाब के किनारे ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से कुंवा खोद कर व्यवस्था बनाया है जिसमें से छोटी – छोटी बच्चियां, महिलाएं पानी भर कर ले जाती हैं, पीने के पानी के लिए 1 किलोमीटर दूर से लाती हैं यह पानी तो पीने के अलावा दूसरे उपयोग के काम में आता है | छोटी बच्ची ओमती सिंह बताती है कि तलब वाले कुंवा से पानी ला रहे हैं घर भाटिया टोला में है, अभी 1 फर्लांग से लाते हैं गर्मी में 1 किलो मीटर दूर से पानी लाते हैं, वहीँ कीर्ति बाई कहती है कि 1 किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं पंचायत कोई व्यवस्था नहीं की है | वहीँ गीता बाई कहती है कि घर बनाने के लिए तलब के कुआं से पानी लाते हैं और पीने के लिए 1 किलोमीटर दूर से लाते हैं कही हैण्ड पम्प नहीं है हम लोग दिन भर पानी ढोते रहते हैं, मजदूरी करने जाने से पहले 4 बजे सुबह से पानी लाते हैं फिर मजदूरी करने जाते हैं रात में कोई रिश्तेदार आ जाता है तो टार्च लेकर पानी लेने जाते हैं, शादी व्याह के समय में एक दो दिन के पानी कि व्यवस्था पहले करते हैं कहीं टैंकर किराये से मांगा करा पानी लाते हैं तब व्यवस्था होती है |

अब जरा प्रदेश सरकार की सौभाग्य योजना की तरफ देखें, उमरिया जिला कागजों में शत – प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण कर  चुका है और जमीनी हकीकत यह है कि गांवों में खम्भे गड गए हैं कुछ खड़े हैं कुछ गिर गए हैं लोगों के पास बिजली के बिल भी आने लगे लेकिन खम्भों में तार नहीं लग पाई है, ग्रामीण चिमनी के सहारे पानी जिन्दगी चला रहे हैं वह भी इस उम्मीद में कि खम्भा खडा हो गया है कभी तार खिंच जायेगी और करंट भी आ जाएगा | इस बारे में ग्रामीण तेज सिंह का कहना है कि बिना कनेक्शन के हमारा बिल आ रहा है इसमें हम क्या करेंगे जब लाईट लगेगी तब हम बिल भरेंगे | वहीँ दूसरे ग्रामीण मोहन लाल का कहना है कि जब से खम्भा टूटा है तब से बिजली हमारे घर में नहीं है और बिल आ रहा है बिल हरी के घर में आता है वही सबको दे देता है 3 साल से लगातार बिल आ रहा है और बिजली नहीं है |

अब ज़रा छात्राओं की भी समस्या के तरफ नजर करें, हालाँकि सरकार बालिका शिक्षा के लिए बहुत काम करने और प्रेस करने का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन जमीनी हकीकत ग्राम करही की कक्षा 9 की छात्रा शिवा सिंह बताती है कि 2 किलोमीटर दूर पढ़ने स्कूल जाते हैं अभी तक सायकल भी नहीं मिली है बस कहते हैं कि मिलेगी, गांव में बिजली नहीं रहती चिमनी जला कर पढाई करते हैं सड़क के बारे में बच्ची कहती है कि हम जानते ही नहीं हैं कि कभी यहाँ सड़क थी, सरकार के 24 घंटे बिजली देने की सच्चाई इस बच्ची ने बता दिया अब खुद अनुमान लगाया जा सकता है |

अब जरा बुजुर्गों कि भी समस्या देखें क्या है सबसे पहले 75 वर्षीय बुजुर्ग भोला सिंह बताते हैं कि वृद्धवस्था पेंशन नहीं मिलाता है गरीबी रेखा का कार्ड भी नहीं है मेरे घर में 8 परिवार है किसी को कुछ नहीं मिलता है सरपंच कहता है तुम्हारा नाम नहीं है तुमको कुछ नहीं मिलेगा ऐसे बहुत से लोग हैं | अब 70 वर्षीय बुजुर्ग गोकुल प्रसाद कहते हैं कि हमको वृद्धवस्था पेंशन नहीं मिलाता है गरीबी रेखा में नाम नहीं है सरपंच कहता है कि तुमको नहीं मिलेगा मजदूरी करके गुजारा करते हैं | 65 वर्षीय बुजुर्ग सुख लाल सिंह कहते हैं कि 3 रोड की समस्या है बजली के खम्भे गड़े हैं तार नहीं है मीटर नहीं है बिजली का बिल आ रहा है पानी दूर से लाते हैं स्कूल में भी पानी की समस्या है नल, लेट्रिन, बाथ रूम कुछ नहीं है, वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलता सरपंच आश्वासन दे देते हैं और नहीं देते जब से भाजपा सरकार आई है तब से कोई लाभ नहीं मिला |

गांव का ही जागरुक युवा देवी सिंह कहता है कि हमारे गाँव में पहली समस्या सड़क कि है जो बच्चे प्राथमिक स्कूल और आन्गंबदी में जाते हैं उनको कीचड में से होकर जाना पड़ता है छोटे – छोटे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं, एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले पानी के लिए भटकते हैं शादी – व्याह में पैसे से दूसरे गाँव से टैंकर मंगवा कर अपना कार्यक्रम करते हैं, बिजली रोज नहीं मिलाती है महीने में 8 से 10 दिन किस तरह मिलती है बाकी दिन ख़राब रहती है बच्चे पढ़ नहीं पते हैं तार भी नहीं खिंचा है बिल भी आ रहा है जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से बिजली, पानी सड़क की कोई व्यवस्था ही नहीं है और भी कई समस्या से हमारे गाँव की जनता जूझ रही है |

इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद आदिवासियों के उत्थान के लिए गांव – गांव भ्रमण कर समाज सेवा कर रहे ध्यान सिंह का कहना है कि यहाँ की समस्या का कारण है कि यहाँ के सांसद, विधायक बिलकुल निष्क्रिय हैं, चुनाव जीतने के बाद कभी क्षेत्र में देखने नहीं जाते कि लोगों कि क्या समस्या है यह हमारा करही टोला है यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहाँ के लोग रोड के लिए तरस रहे हैं बच्चों के स्कूल जाने के लिए रास्ता नहीं है बिजली है तो है बिल आ रहे हैं यहाँ घरों में कनेक्शन नहीं है, बच्चे चिमनी जला कर पढ़ते हैं, इस सरकार में कोरी घोषनाये हैं, जमीन में कुछ नहीं है किसान बताये कि हमारा वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रहा है 75 साल तक के लोग है, हम इनकी समस्या को लेकर जिले के कलेक्टर साहब से चर्चा करेंगे और प्रयास करेंगे कि लोगों को लाभ मिले |

इस मामले में जब जिले के कलेक्टर माल सिंह से बात किया गया तो उनका संक्षिप्त सा कहना है कि मैंने वहां सी ई ओ और तहसीलदार को भेजा था आज पुनः एस डी एम को  भेजा है देख लेंगे |

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार बड़े – बड़े दावे विकास की करती है और प्रदेश के मुख्य मंत्री अपने से अपनी तारीफ़ करते नहीं थकते कि हमने मध्य प्रदेश को विकसित राज्य बना दिया है विकास की गंगा बहा दिया है लेकिन जमीनी हकीकत विकास को शर्मिन्दा करने वाली है और ऐसे में चौथी बार सरकार प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं जबकि ग्राम पंचायत करही सारे विकास की पोल खोल रही है |

 

 

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