मनमाने रेट में बेची जा रही है शराब, अधिकारी और ठेकेदार मिलकर भर रहे हैं अपनी जेबे, मांगने पर नहीं दिया जाता बिल, टैक्स की कर रहे हैं चोरी, शराब दुकान संचालित हुए और महीने भर में नया कारनामा आया सामने
मध्यप्रदेश में कितने भी कठोर नियम बन जाए पर होगा वही जो ठेकेदार चाहेगा। मामला उमरिया जिले का है पिछले माह नई शराब नीति के साथ दुकाने संचालित होने के पूर्व मध्यप्रदेश में ठेका होने के पूर्व नियमो एवम शर्तों के अनुसार ठेके के लिए निविदा आमंत्रित की गई, परन्तु कुछ ठेकेदार इस तरह के होते है कि नियमो को अनदेखा कर कार्य करना उनके फितरत में शुमार है। शराब दुकान जिसके खुलने और बंद होने का समय सुनिश्चित रहता है। जिसका साफ़ उल्लंघन मुख्यालय में देखने को मिलता है। गौरतलब है कि उमरिया में संचालित शराब ठेकेदार के द्वारा आस पास के कई गांवों में शराब की पैकारी जोरो पर कराई जा रही है। ऐसा लगता है इन ठेकेदारो को किसी का डर ही नही है
वही दूसरी तरफ जिम्मेदार भी अपनी आंखे बंद किये हुए है। शहरी और ग्रामीण इलाकों के सभी अड्डों में भी शराब बड़ी आसानी से मिल जाती है। इस वजह से चोरी, लूट – मार, लड़ाई, झगड़ा, हत्या, बलात्कार, मारपीट जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।
इतना ही नही कई बार ग्रामीण पैकारों से परेशान होकर पुलिस के पास भी आवेदन दे चुके हैं लेकिन कहीं से कोई फर्क नही पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय में देखें तो शाम होते ही स्टेट बैंक के बगल में स्थित दूकान के सामने शराब पीकर झगड़ा लड़ाई की घटना रोज़ देखी जा सकती है। क्योंकि ये शराब दुकान उमरिया मुख्यालय के रहाइसी क्षेत्र में स्थित है। जिस वजह से शाम के बाद ही वहां से महिलाओं बच्चों और छात्र, छात्राओं का सामने से निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। वहीं विकटगंज में संचालित दुकान के पास शराब दुकान के कर्मचारियों के द्वारा वही पर बैठा कर शराब पिलाई जाने की जानकारी भी सूत्रों के हवाले से आई है। रात्रि 9 बजे के बाद शराब दुकान के अगल बगल जमघट लगता है और शराब दुकान के पास से चखना डिस्पोजल जैसे सामग्री भी उपलब्ध हो जाती है। शराब तो शराब दुकान से मिलती ही है।
सवाल यहाँ पर खड़ा होता है कि यह सब आबकारी विभाग के संरक्षण में हो रहा है या ठेकेदार आबकारी विभाग पर भारी पड़ रहा है। शहर की भीतर चल रही दुकानों का विरोध भी हुआ लेकिन संबंधितों के आंख और कान बंद के बंद ही है। देखना है कि आबकारी विभाग इस अव्यवस्था की खिलाफ़ कार्रवाई करता है या सब कुछ पूर्ववत चलने देना स्वीकार कर लेता है।
अब अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री की बातों पर गौर करें तो वो खुले मंच से हर सभाओं में कहते नही थकते कि मेरे प्रदेश में गुंडागर्दी, नशाखोरी, अपराध कुछ भी नही होंगे, मैं सभी को जमीन के नीचे गाड़ दूंगा। प्रदेश में एक भी अपराध को नही पनपने दूंगा।
अब दूसरी तरफ नजर डालें तो जितना घोषणा करते हैं, उसका उल्टा नजर आ रहा है, प्रदेश में खुले आम गुंडागर्दी, चोरी, लूट, हत्या, बलात्कार, अवैध खनन, नशाखोरी, अवैध पैकारी सब कुछ चल रहा है।
हर कार्य के लिए बस थोड़ा सा टैक्स देना पड़ता है, घोषणाएं तो आम जनता को दिखाने के लिए की जाती हैं ताकि लोग बेहद ईमानदार समझें और दुबारा सरकार बनाने में मदद करें।
प्रदेश सरकार से जनता पूँछती है कि कब अपनी घोषणाओं पर अमल करेंगे और कब ऐसे अधिकारी भेजेंगे जो आंकड़ों की बाजीगरी न कर मैदान में कार्य कर जनता को राहत दिला सकें।