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भ्रष्टाचारियों को बर्खास्त करो – सीएम

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बृजेन्द्र सिंह के लिए अलग से आयेगा आदेश…?

अजाक विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले का मामला

उमरिया – सरकार और जिला स्तरीय अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले अधिकारी और बाबुओं की सामत आ गई है, घपले के आरोप भी सिद्ध हैं, प्रदेश भर में ऐसे मामलों को लेकर सरकार की हो रही किरकिरी और बढ़ रहे भ्रष्टाचार के मामले में गत दिवस भोपाल में सीएम शिवराज सिंह ने एक बैठक के दौरान सख्त निर्देश दिये हैं कि जिन जिलों में भ्रस्टाचार संबंधी शिकायते हैं या जिन शासकीय सेवकों पर आरोप साबित हो गया हो, उन्हें तत्काल बर्खास्त कर दिया जाये, इस आदेश के ठीक उल्टे उमरिया में काम किया जा रहा है, वह भी प्रदेश सरकार की मंत्री और मानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के विभाग में भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार करने वाले एक बाबू को हटाना तो दूर वही बाबू फिर उसी विभाग में अपना माया जाल फैलाने के लिए बैठा दिया गया है। जिसके बाद यह कयास लगाये जा रहे हैं कि कंठ तक भ्रष्टाचार में डूबे बाबू को हटाने के लिए भोपाल स्थित सीएम सचिवालय से अलग से आदेश आयेगा…?

यह था मामला
राजनीतिक पहुंच और रसूख के साथ साथ अधिकारी के दत्तक पुत्र बनकर उमरिया जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग में बिना काम के दाम निकाल लिया गया, इस पूरे मामले की जानकारी तब लगी जब ईमानदार छवि और जिले को भष्ट्राचार मुक्त बनाने के उद्देश्य से संजीव श्रीवास्तव ने उमरिया कलेक्टर के रूप में पदभार ग्रहण किया और जांच कराई तो पता चला कि बिना बिल्डिंग बनाये और बिना बाउंड्रीवाल बनाये ही करोड़ो रुपये आहरित कर लिये गये, जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदारों ने अहम भूमिका निभाई है। तात्कालीन कलेक्टर ने जांच कराई तो सारा काला चिठ्ठा बाहर निकल आया और विभाग के प्रमुख, लेखापाल बृजेन्द्र सिंह, ठेकेदार सहित अन्य पर आरोप साबित हुए और ठेकेदार व बृजेन्द्र सिंह के ऊपर पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया, परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहेगें कि कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के जाते ही बड़े बाबू एक बार फिर उसी विभाग में अपनी सेवा देने लगे, और दें भी क्यों न विभाग के ही एक खास जो हमेशा सारी फाइलों को जिले के कलेक्टर के सामने पेश कर हस्ताक्षर करवाते हैं वही तत्कालीन कलेक्टर को अंधेरे में रख कर फाइलों के ढेर के बीच इनकी पुनः ज्वाइनिंग के कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए।
इतना ही नही सुनने में यह भी आया है कि अभी जिन शिक्षकों की अभी भर्ती हुई है उनके पदस्थापना आदेश सीधे भोपाल से आये थे लेकिन उसमें भी अपनी सिद्धहस्त कला का प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में जिनकी पोस्टिंग हुई उनको उस स्कूल में सीट फुल दिखा कर रोड से लगी स्कूलों में नियुक्त दे दी गई है, अब इसमें कितना फीलगुड हुआ ये तो वही जाने। खास बात तो यह है कि विभाग की मंत्री का विधानसभा क्षेत्र भी वही है जहां शिक्षकों की पदस्थापना हुई है। अब देखना होगा कि सीएम के आदेश का उमरिया जिले में कितना काम और पालन होता है।

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