भाजपा सरकार में अधिकारी – कर्मचारी बिना किसी डर और भय के खुलेआम भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। इतना ही नहीं करोड़ों रुपए का घोटाला करके भी वह अधिकारी और कर्मचारी आज भी मौज में हैं। फिर चाहे शासन हो या प्रशासन सभी को जानकारी के बाद भी उन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करना तो दूर बल्कि अपनी आंख और कान बंद करके उनका संरक्षण और वाहवाही करते नजर आ रहे हैं। वहीं अगर देखा जाय तो हर मंच से प्रदेश के मुखिया भ्रष्टाचारियों और बलात्कारियों को जमीन में गाड़ने की बात करते नही थकते है। दूसरी तरफ देखिए उन्ही के मंत्री के विभाग के क्या हाल हैं।
जी हां यह बात हम कहीं और की नहीं बल्कि उमरिया जिले से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री वह भी जनजातीय विभाग की मंत्री और उन्ही के गृह जिले और उन्ही के विभाग की कर रहे हैं। जहां बीते 2 वर्ष पहले खुलेआम करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है। जिसमें तत्कालीन सहायक आयुक्त आनंद राय सिन्हा और विभाग के बाबू बृजेंद्र सिंह का नाम सामने आया था उस समय इन दोनों अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही भी की गई थी सहायक आयुक्त को उनके पद से हटाकर उन्हें अटैच किया गया तो बाबू बृजेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद आनन-फानन में मामले की जांच कराई गई। जांच के दौरान जिन जगहों और जिन कामों के लिए राशि जारी की गई थी वहां काम ही नहीं हुए। इसके लिए बकायदा छात्रावासों के अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए वही मौके में भी कोई भी कार्य नहीं मिले, मतलब सीधे तौर पर विभाग के सहायक आयुक्त और बाबू के द्वारा ठेकेदार से सांठगांठ करके करोड़ी की राशि का आहरण कर लिया। इस पूरी गड़बड़ी की जांच करने एक टीम का गठन किया गया जिसमें लेखा संबंधी और टेक्निकल विभाग के लोगों को शामिल किया गया और इस जांच टीम का नोडल उमरिया जिले के एडीएम को नियुक्त किया गया।
जांच रिपोर्ट
जांच टीम के द्वारा लगभग संबंधित दो दर्जन अधीक्षकों और शिक्षकों के बयान दर्ज किए गए। जिसमें सभी ने इस पूरी गड़बड़ी को स्वीकारा है। 9 बिंदुओं की जांच में ऐसा कोई भी बिंदु जांच प्रतिवेदन में नहीं है जहां इनकी गड़बड़ी ना आई हो, पूरे के पूरे 9 बिंदुओं में इनके द्वारा अनियमितता और गड़बड़ी करके शासकीय राशि का बिना काम किए आहरण कर लिया गया।अतिरिक्त कलेक्टर के द्वारा जारी जांच प्रतिवेदन में उन्होंने अपनी तरफ से समीक्षा में लिखा है कि इस पूरी जांच में पूरे के पूरे 9 बिंदुओं में इनकी लापरवाही और ठेकेदार से सांठगांठ प्रतीत होता है।
जांच उपरांत रिपोर्ट के आधार में साफतौर पर सहायक आयुक्त और बाबू बृजेंद्र सिंह के द्वारा शासकीय राशि को खुर्द बुर्द करने के लिए ठेकेदार से सांठगांठ कर बगैर काम किए ही कार्य पूर्णता मान लिया गया और ठेकेदार को काम की राशि जारी कर दी गई। इसके बाद तीनों ने मिलकर इस पूरे करोड़ों की राशि का बंदरबांट कर लिया। मामले की एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी जिसमें सहायक आयुक्त आनंद राय सिन्हा के द्वारा अपने रसूख और पैसे के दम पर अपने को बचा लिया। लेकिन बाबू बृजेंद्र सिंह और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत शासकीय राशि का बंदरबांट किए जाने और भ्रष्टाचार करने के मामले में कोतवाली उमरिया में संभवतः एफ आई आर दर्ज की गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद समय गुजरता गया और कार्यवाही भी समय के साथ फाइलों में दब गई। लेकिन ताज्जुब तो तब हुआ जब शासन और प्रशासन के द्वारा इनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की रकम में अपना भी हिस्सा जोड़ लिया गया और सहायक आयुक्त आनंद राय सिन्हा और बाबू बृजेंद्र सिंह को दोषमुक्त कर दिया गया। करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोपी आनंद राय सिन्हा को उपकृत करते हुए उसे उमरिया से बड़े जिले शहडोल में आदिम जाति कल्याण विभाग का सहायक आयुक्त बना दिया वहीं बाबू बृजेंद्र सिंह को बहाल करते हुए उसे उसी आदिम जाति कल्याण विभाग में महत्वपूर्ण पद दे दिया गया जहां उसने करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया था। इतना ही नही सारी जानकारी जब सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई तो उनके गुनाह की फाइल भी उन्ही के कब्जे से लेकर सारी जांच रिपोर्ट, निलंबन आदेश, बहाली आदेश और पूरे कागजात की फोटो कॉपी करवा कर दी गई।
अब बड़ा सवाल यह है कि यह मामला शासन और प्रशासन के जिम्मेदारों की जानकारी में है। बावजूद इसके उन पर कार्यवाही होना तो दूर अपनी आंख और कान बंद करके उनकी वाहवाही करते नजर आ रहे हैं। इन सबको देख कर तो लगता है कि प्रदेश के मुखिया मात्र जनता से वाहवाही बटोरने का लिए खुले मंच से भ्रष्टाचार मिटाने की फर्जी घोषणा करते हैं।