उमरिया – जिले में भ्रष्टाचार चरम पर होने के चलते जिस अधिकारी को जो मन पड़ता है, वो अपने मन का करता है, यहां किसी नियम कानून का पालन नही होता। जिस पर आरोप लगते हैं वो खुद अपनी जांच करता है। अभी तक आपने सुना होगा कि पंच पति, सरपंच पति, जनपद अध्यक्ष पति, जिला पंचायत अध्यक्ष पति, नगर परिषद अध्यक्ष पति, नगर पालिका अध्यक्ष पति अपने – अपने क्षेत्र का कार्य देखते हैं लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं उमरिया नगर पालिका सीएमओ ज्योति सिंह और, इनके पति एस के सिंह के हाल,
जांच दल को धमकी देते सीएमओ पति
हालांकि इनके ऊपर पहले भी कई तरह के आरोप लग चुके वहीं अभी हाल में नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष, पार्षद सभी ने एक मत से प्रस्ताव पास ज्योति सिंह के द्वारा किये जा रहे घोटालों की जांच करवाने को राज्य सरकार को लिखा जिसके परिणामस्वरूप इनका स्थानांतरण नौरोजाबाद कर दिया गया और उच्च अधिकारियों के निर्देश पर नवागत सीएमओ किशन सिंह ने कर्मचारियों और पार्षदों की एक ज्वाइंट कमेटी बना कर जांच करने का आदेश जारी कर दिए
जिसमें, मानसी गुप्ता (उपयंत्री), अनिल पुरी गोस्वामी (सहायक ग्रेड 3), राजेन्द्र कोल पार्षद वार्ड क्रमांक 4, नासिर अंसारी पार्षद वार्ड क्रमांक 14, अशोक गौंटिया पार्षद वार्ड क्रमांक 15, सुशील चंद्र रैदास पार्षद वार्ड क्रमांक 3 को सदस्य नियुक्त किया गया।
लिखित शिकायत पत्र
सभी लोग स्टोर की जांच करने भी गए लेकिन सीएमओ पति एस के सिंह का रुतबा इतना रहा कि उनको धमकी देकर जांच ही नही करने दिए बल्कि उल्टे अपशब्दों के भी प्रयोग किये जिसकी शिकायत लिखित रूप से सीएमओ और अध्यक्ष को भी दिए।
कुछ दिन बाद सीएमओ ज्योति सिंह ने हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया और फिर से उमरिया नगर पालिका में पद भार ग्रहण कर लीं।
दूसरा जांच दल गठित
पद भार ग्रहण करते ही नियम विरुद्ध पूर्व के आदेश को निरस्त हुए बिना उसी के समानांतर दूसरा आदेश जारी कर अपनी करनी की जांच करने के लिए दूसरी टीम गठित कर दीं जिसमें, मानसी गुप्ता उपयंत्री, प्रदीप द्विवेदी सहायक राजस्व निरीक्षक, सईद मंसूरी सिटी मिशन मैनेजर, कंचन तिवारी समग्र सुरक्षा विस्तार अधिकारी, विनोद सोनी सहायक राजस्व निरीक्षक, अनिल पूरी गोस्वामी सहायक ग्रेड 3, हेम लाल कोल जन संरक्षक, छबील चंद बैगा जन संरक्षक को सदस्य बना कर अपनी जांच के लिए नियुक्त कर दीं।
अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री, जिले की मंत्री, विधायक, कलेक्टर, एसडीएम, भाजपा जिलाध्यक्ष सभी की नाक के नीचे खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा है और सभी बेबश नजर आ रहे हैं।
जबकि इनके बाहुबली पति पूर्व में गठित टीम के सदस्य जिसमे आदिवासी, हरिजन और सभी वर्ग के लोग रहे, वहीं जनप्रतिनिधियों का खुले आम अपमान किये और शासकीय कार्य में व्यवधान पैदा किये उसके बाद कोई एफआईआर नही दर्ज करवाई गई।
आखिर ऐसा क्या है कि भ्रष्टाचार करने वालों के लिए की जाने वाली मुख्यमंत्री की सारी घोषणाएं, सारे दावे उमरिया जिले में शून्य नजर आते हैं, या फिर खुद उनकी सह पर अपने ही लोगों को नीचा दिखाने का कार्य किया जाता है।
जबकि नगरीय क्षेत्र की जनता जिले के अधिकारियों और मंत्री, विधायक से स्वच्छ प्रशासन की उम्मीद लगाए बैठी है लेकिन यहां जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा सीएमओ और उनके पति स्वयं के उपयोग में लाकर फर्जी बिल लगा कर डकारने में लगे हैं, ऐसे में आने वाले चुनाव में जनता भाजपा सरकार से इसका हिसाब मांगेगी और इनके पास कोई जबाब नही रहेगा।