Home भ्रष्टाचार शासन प्रशासन पर भारी एक महिला अधिकारी

शासन प्रशासन पर भारी एक महिला अधिकारी

346
0

उमरिया – आइए आज हम आपको पुराने भ्रष्टाचार की नई कहानी बता रहे है। चाहे जिला प्रशासन हो मध्यप्रदेश शासन सब पर भारी पड़ रही है जिले की एक महिला अधिकारी। वैसे आप लोग समझ गए होंगे हम किसकी चर्चा कर रहे हैं, अगर भूल गए हों तो फिर से बता दे रहे हैं, वह महिला अधिकारी और कोई नही उमरिया नगर पालिका की सीएमओ ज्योति सिंह है।
जिनके द्वारा नगर पालिका परिषद अनूपपुर में भी भारी भरकम भ्रष्टाचार किया गया जिसकी जांच करने का निर्देश स्वयं शहडोल संभाग के कमिश्नर ने दिया था और उनकी फाइल भी उन्ही के कार्यालय में धूल खाती पड़ी है, या यह कहें कि वो भी इनके प्रभाव के आगे नतमस्तक हो गए तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी। उसके बाद सीएमओ ज्योति सिंह का पदार्पण उमरिया जिले में हुआ और यहां भी उनके द्वारा वही भ्रष्टाचार किया गया अपने चहेतों को बुला कर शार्ट टेण्डर उनके नाम देकर फर्जी बिल लगा कर खूब राशि निकाली गई। यह सब देख कर वर्तमान परिषद ने प्रस्ताव पास कर जांच कराने के लिए जिले के कलेक्टर से लेकर प्रदेश सरकार तक पत्राचार किया और उसके परिणामस्वरूप प्रदेश सरकार ने इनका स्थानांतरण नौरोजाबाद कर दिया और यहां का प्रभार किशन सिंह ठाकुर को दे दिया गया।
उसके बाद जिले के कलेक्टर ने टीम बना कर जांच करने का आदेश दे दिया और जब जांच टीम क्रय किये गए सामग्री का सत्यापन करने गई तो इनके दबंग पति एस के सिंह ने जांच टीम से विवाद कर चलता कर दिया।
ज्योति सिंह तत्काल उच्च न्यायालय की शरण मे गईं और वहां से स्थगन आदेश प्राप्त कर पुनः अपनी मनचाही जगह में वापस आ गईं।

सीएमओ ज्योति सिंह के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए उमरिया कलेक्टर डॉ केडी त्रिपाठी के द्वारा अपर कलेक्टर के सी बोपचे को निर्देशित किया गया और अपर कलेक्टर ने नगर परिषद नौरोजाबाद के प्रभारी सीएमओ भूपेन्द्र सिंह को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

उसके बाद नौरोजाबाद के प्रभारी सीएमओ भूपेन्द्र सिंह ने आनन फानन में इंजीनियर और बाबू को पत्र लिख कर जांच करने को निर्देशित कर दिया।
अब बड़ा सवाल यह है कि सीएमओ भूपेन्द्र सिंह को यह नही मालुम है कि एक राजपत्रित अधिकारी की जांच उनका अधीनस्थ कर्मचारी कैसे करेगा, यह अलग बात है कि अधिकारी भले ही भ्रष्ट हो लेकिन पद की मर्यादा तो होती ही है, हां यह भी हो सकता है कि दोनो सीएमओ की सांठगांठ हो कि बाबू से जांच करवा दो हम उच्च न्यायालय में इसको दिखा कर मामला सलटवा लेंगे।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में प्रारम्भ से ही प्रशासन का ढुलमुल रवैया रहा है। ऊपर से कलेक्टर के निर्देश की जिस तरह से अवहेलना की गई है इससे साफ प्रतीत होता है कि जिले में जिले के मुखिया के निर्देश का कितना पालन किया जाता है साफ दिखाई दे रहा है।
वहीं जिले में एक बात तो साफ हो गई कि कोई नियम कानून का भय किसी अधिकारी/कर्मचारी में नही रह गया है और मुख्यमंत्री के सारे दावे, सारी घोषणाएं उमरिया जिले में बेअसर हैं, जबकि सारा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी है। इतना ही जिले के सत्ता पक्ष और विपक्ष के दिग्गज कहलाने वाले सारे नेता और अधिकारी एक महिला अधिकारी के आगे बेअसर साबित हो रहे हैं।

Previous articleकेंद्रीय विद्यालय भूमि का नही हुआ निर्णय तो करेंगे आत्मदाह
Next articleकांग्रेस ने भाजपा पर लगाया आरोप दिया 5 सौगातों की जानकारी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here