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आदिवासियों का आंदोलन, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने दिखाया तेवर

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सुरेन्द्र त्रिपाठी

उमरिया 5 अक्टूबर – जिले के समीपस्थ ग्राम पंचायत तामन्नारा मे गोड़वाना गणतंत्र पार्टी के तत्वाधान मे आदिवासियों के ऊपर हो रहे अन्याय के विरोध मे 3 अक्टूबर को धरना प्रदर्शन किया गया लेकिन मजे की बात यह रही कि जिस गांव मे धरना हो रहा था उसी गांव के आदिवासी बड़ी संख्या मे एकत्र होकर धरने का विरोध शुरु कर दिया और उस गांव का कोई भी आदिवासी समाज का व्यक्ति शामिल नही हुआ, जिससे न चाहते हुए भी स्थिति बिगड़ गई, जिसके बाद पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए, लोगों को धक्का मुक्की करते हुए किनारे किया,

धक्का मुक्की करते

अंततः जिला प्रशासन की समझाईश के बाद एक ज्ञापन सौंपते हुए 15 दिवस के भीतर कार्यवाही की मांग की है।
यह उस गांव की तस्वीर है जो आदिवासी जिला उमरिया के समीप है ग्राम तामन्नारा, हुआ यूं कि एक आदिवासी ने सड़क के किनारे शासकीय भूमि पर अवैध रुप से कब्जा किया था, इस मामले में आदिवासी नेता बलवीर का कहना है

बलवीर सिंह

कि जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा जिला प्रशासन से की गई थी,उसके पास जमीन घर सब कुछ है उसको प्रधानमंत्री आवास का भी लाभ मिला है इसका काम ही इतना है और हम लोग इसी का विरोध कर रहे हैं, हम भी आदिवासी हैं हम जानते हैं क्या परेशानियां होती है लेकिन इसके पास सब कुछ है और ये जबरन जमीन पर कब्जा किया था। इस बात को राजनीतिक करण करते हुए जिला प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया जिस पर ग्राम तामन्नारा के आदिवासियों ने आंदोलन का विरोध किया और कई बार पुलिस को भी सख्ती के साथ ग्रामीणों का सामना करना पड़ा।

चैन सिंह


इस संबंध मे जब जिले के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को समझाईस दी तो आंदोलन करवा रहे चैन सिंह ने कहा कि मैने कब्जा किया था, जिसे गांव के लोगो ने मिलकर प्रशासन से गिरवा दिया।
आखिरकार जब तक यह आंदोलन चल रहा था, तब तक प्रशासन के हाथ पैर फूले हुए थे कि कब ग्रामीण आक्रोशित हो जायेगें लेकिन तहसीलदार बांधवगढ़ दिलीप सिंह का कहना है

दिलीप सिंह तहसीलदार

कि पुलिस और राजस्व की समझाईश के बाद मामला शांत हो सका।
हांलाकि यह जिला एक आदिवासी जिला है और आदिवासियों के उत्थान के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाकर उनके जीवन को ऊपर उठाने के लिए सरकार समय समय पर योजनाएं संचालित करती है।

यहां पर आदिवासियों के लिए अलग से कार्यालय संचालित है, प्रदेश की कैबिनेट मंत्री और जिले के विधायक आदिवासी है। मगर इसे दुर्भाग्य ही कहेगें कि आज भी इस जिले का आदिवासी फटी धोती कुर्ता पहनता है, वही इनके नाम से सरकार द्वारा आने वाला करोड़ो रुपये का बजट खर्च तो हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत सबके सामने है, आज एक गुमटी के विवाद ने पूरे जिले के साथ साथ प्रशासन को भी हिलाकर रख दिया।

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