पुलिस विभाग के प्रदेश के मुखिया डीजीपी का आगमन आज उमरिया जिले में हुआ, जहां उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ जोनल बैठक किया। पुलिस कंट्रोल रूम में करीब दो घंटे चली इस बैठक में शहडोल संभाग के एडीजीपी सहित तीनों जिलों के एसपी शामिल हुए। वहीं पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर पाली पुलिस से प्रताड़ित मिलने वालों की कतार लगी रही, लेकिन सभी को नजरअंदाज कर चले गए।
मिलने को खड़े पीड़ित
उमरिया – जिले में जोनल अपराध की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें म प्र के पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना शामिल हुए और बैठक में अनेक प्रकार से की जाने वाली समीक्षाओं पर फोकस किया गया।
डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने बताया कि अपराध पर हम कैसे नियंत्रण करें, महिला संबंधित अपराधों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाय, एससी, एसटी के साथ हो रहे अपराधों पर तत्काल कार्रवाई की जाय, माफियाओं पर सख्त कार्रवाई हो, सायबर संबंधित अपराधों और अन्य अपराधों की गहन समीक्षा की गई, पुलिस अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। जोनल अपराध समीक्षा बैठक में शहडोल संभाग के एडीजीपी डी सी सागर सहित शहडोल, अनुपपुर, उमरिया के पुलिस अधीक्षक मौजूद रहें, वहीं बैठक के बाद मीडिया से मिले अपनी सुनाये और चलते बने, उनको बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व घूमने की जल्दी रही, जिसके चलते कतार लगाकर खड़े फरियादियों की तरफ नजर भी नही घुमाए, जिससे कारण दूर – दूर से आये फरियादी मायूस होकर चले गए।
वहीं जिले के पाली थाना क्षेत्र से आये मनोज कुमार केवट एवं अन्य लोगों ने बताया कि हम लोग डीजीपी साहब से मिलने आये थे कि हमारी बाइक को छत्तीसगढ़ की कार ने ठोकर मार दिया जिससे बाइक टूट गई हम लोग मानवता दिखाते हुए पहले उस कार चालक को अस्पताल ले गए और हमारा समझौता हो गया कि हम बाइक बनवा देंगे इतने में पाली टी आई आर के धारिया आये और कार को भगा दिए जब हम लोग पूँछे कि साहब क्यों भगा दिए तो हम लोगों को दौड़ा दौड़ा कर मारे और गालियां भी दिए इतना ही नही यहां भी हम लोगों को मिलने नही दिए।
गौरतलब है कि एक तरफ प्रदेश के डीजीपी सुशासन के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरह सबको न्याय देने की बात करते रहे दूसरी तरफ उनके पास मीडिया के सवालों का जबाब देने और पीड़ितों की बात सुनने का भी समय नही रहा। जबकि शहडोल जोन में डीआईजी की पदस्थापना न होने से पुलिसकर्मियों की पदोन्नति भी रुकी हुई है।