सुरेन्द्र त्रिपाठी
उमरिया 2 जुलाई – जिला अस्पताल में हुई नवजात की मौत, परिजनों ने लगाया एस एन सी यू प्रभारी चिकित्सक पर आरोप, जिला अस्पताल की व्यवस्था पर भी खड़े किए सवाल, पूर्व में भी हो चुकी हैं कई मौतें, कलेक्टर दिए जांच के निर्देश।
उमरिया जिले के मानपुर जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम बिजौरी निवासी उत्तम कुमार तिवारी को शादी के 17 वर्ष बाद जिला अस्पताल में सीजर ऑपरेशन से 29 जून को बच्चा पैदा हुआ और 2 जुलाई को अस्पताल की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई। मृत नवजात के पिता उत्तम कुमार तिवारी आरोप लगाते हुए कहे कि 29 जून को सीजर ऑपरेशन से बच्चा पैदा हुआ और बच्चा स्वस्थ्य था, 2 दिन बच्चा ठीक रहा, 1 तारीख को गुप्ता सर आये बोले कि कुछ टेस्ट करवा लो तब 5 – 6 टेस्ट लिखे तो हम करवाये रिपोर्ट देख कर कहे कि सब ठीक है, 2 दिन भर्ती रहने दीजिए। हम आज सुबह गए तो नर्स बोली कि ठीक है, फिर अचानक बताये कि बच्चे की तबियत ठीक नही है, और बच्चा खत्म हो गया, सब डॉक्टर की लापरवाही से हुआ है, रात में देखने आए या नही सब कुछ सी सी टी व्ही से समझ मे आ जायेगा, फिर हम यहां डॉक्टर साहब को बताये, कलेक्टर साहब को बताये तो कलेक्टर साहब आये, यहां तो लापरवाही इतनी ज्यादा है कि प्रसव कक्ष है लेकिन पानी तक नही रहता है, महिलाएं पानी के लिए भटकती रहती हैं।

वहीं मृत बच्चे के मामा ओम प्रकाश शुक्ला कहे कि अस्पताल की लापरवाही से मेरे भांजे की मौत हो गई है, इसकी जांच हो और बताएं कि कैसे मौत हुई है।
इस मामले में एस एन सी यू प्रभारी डॉक्टर शशि कान्त निपाने सफाई देते हुए कहे कि कल तक बच्चा ठीक था आज अचानक उसकी सांस उखड़ने लगी हमने एंटीबायोटिक दिया, आई बी फ्लूड दिया, हर सम्भव प्रयास किया लेकिन नही बचाया जा सका, हो सकता है कि उसके दिल मे छेद हो या मस्तिष्क की कोई नस दब गई होगी।
इस मामले में शिकायत मिलते ही तत्काल जिले के कलेक्टर अस्पताल पहुंचे और मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच दल गठित कर दिए। जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव कहे कि हमने तीन सदस्यीय टीम गठित कर दिया है और 3 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है, इस जांच दल में डॉक्टर विनोद गुप्ता, डॉक्टर सी पी शाक्या, और डिप्टी कलेक्टर नेहा सोनी को नियुक्त किया है। जैसी रिपोर्ट आएगी वैसी कार्यवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि जिला अस्पताल और एस एन सी यू प्रभारी का यह कोई पहला मामला नहीं है, इसके पूर्व भी कई नवजात की मौत हो चुकी है और हर बार लीपापोती कर मामले को चलता कर दिया जाता है, आज भी बच्चे का पोस्टमार्टम नही कराया गया जिससे पता लग सकता, वहीं जिले के सी एम एच ओ को बजट के अलावा जिले में कुछ भी नजर नही आता है, ऐसे में सी एम एच ओ सहित इनकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि लापरवाही से होने वाली नवजात की मौत पर अंकुश लग सके।