उमरिया- जी हां “भैया जी के राज्य में लिए कटोरा हाथ मे” यह नारा है जिला मुख्यालय में कलेक्टर कार्यालय के सामने 29 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी जिले भर की आशा उषा कार्यकर्ताओं का। इतना ही नही 9 दिन नवरात्रि में व्रत रखने के बाद भी लगातार बढ़ रही गर्मी में भी हड़ताल में डटी हुई हैं।
इनकी मांगे हैं कि हम लोगों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाय और हमारा वेतन कम से कम 10 हजार किया जाय। इतना ही नही मांग न माने जाने पर 3 अप्रैल से प्रदेश भर की आशा उषा कार्यकर्ता प्रदेश की राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में धरना देने की तैयारी में रही लेकिन इनके हौसलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अनुमति नही दिया जिसके कारण सभी अपने अपने जिलों में ही डटी हुई हैं।
आशा उषा संघ की जिलाध्यक्ष शुभा सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश की अधिकांश आशा कार्यकर्ताये केवल 2,000 रुपये मासिक इंसेटिव पर कार्य कर रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका नियमित काम एवं अनिवार्य सेवा होने के चलते अन्य राज्यों की सरकार वर्षो से आशा उषा कार्यकर्ता को अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन दे रही है। आन्ध्रप्रदेश में राज्य सरकार 8000 रुपये अपनी और से मिला कर आशाओं को अतिरिक्त वेतन दे रही है, लेकिन म.प्र. सरकार पिछले 10 वर्षों से आशा को कुछ भी नहीं दिया। प्रदेश सरकार ने जिन कामों में राशि को दुगना करने के आदेश जारी किया है इसका भुगतान भी नहीं हो रहा है और अधिकांश आशाओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि कुशल और अकुशल श्रमिकों का वेतन हर 6 माह में बढ़ाया जाता है तो क्या हम लोग उनसे भी गए गुजरे हैं। जहां आशाओं ने कमर कस रखा था कि मांग नही माने जाने पर 3 अप्रैल से भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठेंगे, लेकिन प्रदेश सरकार इनके इरादे देख कर अनुमति ही नही दी जिसके चलते ये सभी अपने अपने जिले में ही बैठी हुई है। वहीं देखना होगा कि प्रदेश की जनहितैषी कहलाने वाली सरकार इनकी मांगों को मानती है या वही पुराना दमनकारी रवैया अपना कर इनको भी भागने पर मजबूर करती है, यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही आने वाले चुनाव में इसका असर नजर आएगा।
वहीं दूसरी तरफ देखा जाय तो प्रदेश के मुखिया चुनावी फंडा अपना कर प्रदेश की महिलाओं को लुभाने के लिए लाड़ली बहना योजना चालू कर 25 वर्ष से 60 वर्ष तक कि उम्र की महिलाओं को लाभ देने जा रहे हैं तो क्या ये आशा उषा कार्यकर्ता बहनों की श्रेणी से अलग हैं। वहीं 60 वर्ष से ऊपर और 25 वर्ष से कम की महिलाओं में खासा आक्रोश भी नजर आ रहा है।
खासकर अब जब मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी विंध्य की मांग को लेकर अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं तो ऐसे में लग रहा है कि विंध्य क्षेत्र की सभी आशा उषा कार्यकर्ता नारायण त्रिपाठी के पक्ष में सहयोग करेंगी तो कहीं विंध्य क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा न साफ हो जाय।