उमरिया – जिले के दौरे पर महामहिम के साथ आये प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच से बड़ी – बड़ी घोषणाएं किये, वही पुराना राग अलापते रहे, लाड़ली लक्ष्मी, सामूहिक विवाह, नल जल योजना, भूअधिकार वगैरह वगैरह। मंच से खूब तालियां बजवाये। 3 से 4 करोड़ रुपया कार्यक्रम में व्यय किया गया, बाहर से टैंट बुलवा कर लगवाया गया। सैकड़ों बसों से ग्रामीण महिलाओं, पुरुषों को लाया गया। पूरा सरकारी अमला 4 – 5 दिन से दिन – रात एक कर व्यवस्था बनाता रहा। कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए रातोरात वन विभाग हर गांव में खबर भिजवा दिया कि 24 तारीख को तेंदू पत्ता खरीदी बन्द रहेगी। उसी के चलते दस हजार महिलाओं का टारगेट रखा गया था कि 10 हजार की भीड़ जुटाई जाएगी। दस हजार तो नही फिर भी 5 से 6 हजार की भीड़ जुट गई। चुनावी तैयारी को सरकारी कार्यक्रम का रंग दिया गया। महिलाएं बड़ी उम्मीद से आईं कि बच्चियों के मामा और हमारे भाई कुछ नया करेंगे लेकिन वही पुरानी बात सुन कर आधे कार्यक्रम के बाद बहुत सी महिलाएं उठ कर चली गईं।
चुनावी वर्ष में ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं, सरकारी पैसों को पानी की तरह बहा रहे हैं, बाजार से कर्ज लेकर सभाओं के नाम पर अभी से प्रचार – प्रसार किया जा रहा है। यदि उसी पैसे को किसी कार्य मे लगाया जाए तो उस क्षेत्र का विकास हो।
वहीं जब मुख्यमंत्री से मिडिया बात करना चाही तो बात करने को राजी हो गए लेकिन आये और अपनी बात रखने के बात जैसे ही मीडिया जिले के विभागों जैसे ट्राइबल, फ़ूड और सहकारिता में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बात की तो तुरंत वापस चले गए। जिसको देख कर तो लगता है कि मंच से भ्रष्टाचार समाप्त करने और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने की बात मजाक सी लगती है। इतना ही नही जब मीडिया उनके विभागों का आईना दिखाने का प्रयास करती है तो चल देते हैं, जिससे लगता है कि उनकी भी मूक सहमति है, वहीं मुख्यमंत्री की घोषणाओं को भी लोग अब मजाक समझने लगे हैं। जिले में 5 मंजिला अस्पताल तो बनवा रहे हैं लेकिन डॉक्टरों की कोई व्यवस्था नही है। दूसरी तरफ खिलाड़ी बच्चों को देख कर फिर से एस्ट्रोटर्फ की घोषणा कर दिए जबकि सितंबर 2017 में भी एस्ट्रोटर्फ की घोषणा किये थे और तत्कालीन कलेक्टर जमीन से लेकर सारी व्यवस्था कर चुके थे लेकिन मामा उसको भूल गए कहीं इस बार भी तो वैसी ही घोषणा तो नही कर गए।