सुरेन्द्र त्रिपाठी
उमरिया 17 अक्टूबर – बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में फिर हुई दो बाघों की संदिग्ध मौत, 8 दिन में 4 बाघों की मौत ने वन्य जीव प्रेमियों को हिला कर रख दिया है। टी 42 सोलो उर्फ राजबहरा वाली के नाम से विख्यात, एवम उसके 3 वर्षीय शावक की मौत। 3 शावक लापता, पार्क प्रबंधन लगा लीपापोती में, मीडिया से बनाये दूरी।
उमरिया जिले के विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर रेंज के परासी बीट के कक्ष क्रमांक 145 आर एफ में राजबहरा वाली के नाम से विख्यात बाघिन टी 42 सोलो और उसके शावक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत, शिकार की आशंका, अभी 3 शावक लापता। इस मामले का कव्हरेज करने जब मीडिया घटना स्थल पर पहुंची तो पार्क प्रबंधन ने मीडिया को ऊपर का आदेश बता कर कव्हरेज करने से रोक दिया। काफी जद्दोजहद के बाद जब टाइगर रिजर्व के संचालक विन्सेंट रहीम से बात किया गया तो उनके द्वारा अपनी कमियों को छिपाते हुए बताया गया कि हम लोगों को सूचना मिली कि इस क्षेत्र में बाघिन और बच्चे हैं तो हमारे द्वारा 8 हाथी लगा कर कोर क्षेत्र में ले जाने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन तभी सूचना मिली कि 1 शावक मरा हुआ पड़ा है तब क्षेत्र को सील कर तलाश करवाया गया तो लगभग 200 मीटर दूर पर बाघिन का भी शव पड़ा है, तब मेटल डिटेक्टर से जांच किया तो उससे कोई आवाज नही आई इसलिए बन्दूक से गोली लगने की आशंका नही मिली और भी जांच की जा रही है,जबकि मादा बाघिन आज सुबह की ही मरी हुई बताये वहीं बहाना बताते हुए कहे कि पिछले माह की 28 या 29 तारीख को मादा बाघिन घायल देखी गई थी लेकिन डॉक्टर बताये कि उसको चोट ऐसी जगह लगी है कि वो चाट कर साफ कर सकती है लेकिन आज मरी मिली तो हम किसी भी संभावनाओं से इंकार नहीं कर रहे हैं सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। वहीं जबरन कहते रहे कि हम लोगों ने सुबह एक मादा शावक को देखे हैं और की तलाश जारी है। वहीं जब पूंछा गया कि ऐसे क्या कारण हैं कि लगातार बाघों की मौत हो रही है तब उनके द्वारा बताया गया कि पार्क प्रबंधन की लापरवाही नही है लेकिन जहां बाघों के सघन क्षेत्र होते हैं वहां सामान्य तौर पर मौत होती रहती है। वहीं जब पूंछा गया कि आपके द्वारा मीडिया से घटना को छिपाया जा रहा है तब बताये कि कोई छिपाया नही जा रहा है हम लोग एरिया को सील कर घटना के हर बिंदुओं की जांच कर रहे हैं और मीडिया पर आरोप लगाते हुए बोले कि मीडिया द्वारा ऐसे वीडियो दिखाए जाते हैं जिससे लोग विचलित होते हैं इसलिए हम लोग उसको किनारे करके अपनी कार्यवाई करने में लगे हैं।
गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व इन दिनों कुप्रबंधन का शिकार हो गया है वहीं दहशतजदा ग्रामीण दबी जुबान में बाघों की मौत का कारण जंगली हाथियों को बता रहे हैं वहीं कुछ लोग बाघिन टी 42 की मौत का कारण जहर खुरानी भी बता रहे हैं। फिलहाल तो पूरा मामला संदिग्ध ही है जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नही आ जाती है। गौरतलब है कि टाइगर रिजर्व को पार्क प्रबंधन अपनी निजी संपत्ति मान रहा है जबकि बाघों की मौत के मामले में प्रबंधन को पूरी पारदर्शिता बरतनी चाहिए ताकि लोगों के सामने सच्चाई आ सके। ऐसे में उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए नही तो वो दिन दूर नही जब बांधवगढ़ बाघ विहीन हो जाएगा।