सुरेंद्र त्रिपाठी उमरिया- लॉक डाउन की शुरुआत से ही MP के उमरिया जिले में स्थित बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था, इस लॉक डाउन का वन्य जीव भी भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इनमें नए मेहमान शामिल हुए है जंगली हाथियों का झुंड। बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बीते 2 साल से छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटक कर आए जंगली हाथियों का कुनबा बांधवगढ़ में इफरात खाना पानी मिलने से अब बढ़ रहा है, हथियारों के परिवार में नन्हें मेहमान भी शामिल हो गए हैं। और अब गर्मी शुरू होते ही हाथियों के परिवार ने टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित एक तालाब में डेरा जमा लिया है, दल के बड़े तो बड़े बच्चे भी एक दूसरे के ऊपर खूब पानी उछालते नज़र आये।और इन तस्वीरों को कैमरे में कैद किया पेट्रोलिंग पर निकले पार्क की टीम की अगुवाई कर रहे डिप्टी डायरेक्टर सिद्धार्थ गुप्ता ने।
आपको बतादें बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व दुनियाभर में बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सीता , चार्जर, बी 2 जैसे बाघों ने बांधवगढ़ के ब्रैंड एम्बेसडर का दुनियाभर में रोल निभाया है। अगस्त 2018 में बाँधवगढ़ में अजीब घटना घटी, और बांधवगढ़ के 150 सालों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था। छत्तीसगढ़ के जंगलों से हाथियों का एक दल भटक कर बाँधवगढ़ पहुंच गया। यहां भोजन की समुचित व्यवस्था होने की वजह से इस दल ने बांधवगढ़ में ही डेरा जमा लिया है।
जानकारों का मानना है कि बाँधवगढ़ से पहले भारत में सिर्फ जिम कॉर्बेट ऐसा नेशनल पार्क है जहाँ हाथी और बाघ का एक ही जगह रहवास है। जानकार तो यह भी मानते हैं कि मध्य भारत में पिछले 150 सालों से हाथियों की मौजूदगी के कोई निशान नहीं हैं। बांधवगढ़ की सीमा से सटे दर्जनों गांव हैं जो आबादी से भरपूर हैं। ऐसे में मैन एलीफेंट के कॉन्फ्लिक्ट का खतरा काफी बढ़ गया है, और ये वन विभाग के लिए भारी मुसीबत का सबब है।