Home देश खून के आंसू रो रहे राष्ट्र निर्माता

खून के आंसू रो रहे राष्ट्र निर्माता

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सुरेंद्र त्रिपाठी उमरिया,
देश मे 25 मार्च से शुरू हुए लॉक डाउन को 53 दिन बीत चुके हैं लेकिन आज भी कामगारों प्रवासी मजदूरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है, सरकारें एक दूसरे पर आरोप मढ़ कर किनारा कर रही हैं। जबकि महीनों से फंसे भूंखे प्यासे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी है. देश के कई हिस्सों से प्रवासी मजदूर अपने घर जा रहे हैं।

बेहाल मजदूर

ऐसे ही सुबह नेशनल हाइवे 43 पर उमरिया हो कर मुम्बई से लगभग 16 लोग पैदल चलकर रांची झारखंड के लिए निकले जो उमरिया पहुंचे।प्रवासी मज़दूरों का कहना है कि हमें किसी भी तरह की कोई सुविधा नही दी गई है और न ही कोई साधन की व्यवस्था की गई। रास्ते मे लोग मिल जाते है तो पैसे खाना या फिर बिस्किट दे देते है तो खा लेते है। मजदूरों के पास अपने बड़े बड़े बैग लेकर पैदल जाने को मजबूर है प्रवासी मजदूर रोते बिलखते हुए भूखे प्यासे अपने घर जाने को मजबूर है।

आंसू हैं कि रुकते नहीं

जब उनसे पूछा गया कि आप लोग पैदल क्यों जा रहे है सरकार व्यवस्था कर रही है तो उन्होंने बताया कि हमारे पास पैसे नही है जिस कंपनी में काम करते थे वहां का ठेकेदार हमे न तो मजदूरी का पैसा दिया है और न ही रहने खाने की कोई व्यवस्था किया है इसलिए हम लोग हजारों किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर है और एक बार घर पहुंच जाए इसके बाद कभी भी काम करने नही जाएंगे और सरकार को कोसते हुए अपने घर के लिए इस चिलचिलाती धूप में ही निकल पड़े और किस्मत के भरोसे चल रहे हैं।

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