सुरेंद्र त्रिपाठी-
मलेरिया के इलाज की खोज हुए लगभग 30 वर्ष से ज़्यादा समय हो चुका है, बावजूद इसके हमारे देश में हर वर्ष मलेरिया से 65 लाख लोग पीड़ित होते हैं, इनमें से लगभग 30 से 40 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है।
सिर्फ भारत में लगभग 26,90000 TB के मरीज़ हैं और हर साल लगभग सवा दो लाख लोग TB से मरते हैं। TB की दवाइयां सालों से मौजूद हैं, सरकार उन्हें मुफ्त में भी देती है।
लेकिन ये सब हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गए है। ऐसे ही कोरोना भी एक तरह से ज़िंदगी का हिस्सा बनने जा रहा है, इसी लिए इसके साथ जीने का तरीका सीखना होगा, कि कोरोना के साथ कैसे रहना और लड़ना है। चाहे फिर मास्क के साथ या social distancing हो या फिर hand was करके लेकिन ये अब ज़िंदगी के साथ शामिल हो गया है। वैज्ञानिक इससे बचाव के ठीक जब कनाएँगे तब की बात अलग है और ये दूर की बात है अभी तो ऐसे माहौल में जोन्दगी जीने की कला सीखनी है।
ये बात दीगर है कि मलेरिया या टीबी से हट कर कोरोना से बचने के उपाय थोड़ी अलग होंगे।ऐसे में आज सबके लिए ज़रूरी यह है कि आँकड़े गिनने की बजाय जीवन को आनंद पूर्वक जीने की कला सीखें नहीं तो कोरोना के चक्कर में तनाव से सम्बंधित कोई बीमारी ना पाल लें।