Home देश मिशन लांच से पहले कोई करता है पूजा, तो कोई पेशाब जानें,...

मिशन लांच से पहले कोई करता है पूजा, तो कोई पेशाब जानें, वैज्ञानिकों से जुड़े अंधविश्वास

389
0

भारत में अंधविश्वास की बात करें तो हर की जानता है कि हमारे या हर छोटे बड़े को सफल बनाने के लिये लोग तरह तरह के टोटके करते है जिससे काम सफल हो। लेकिन जब देश विदेश के बैज्ञानिक भी विज्ञान में देश का परचम लहराने के लिये इस तरह की हरकते करने लगे, तो सवाल उठता है कि क्या ये अंधविश्वास है या आस्था। वहीं, भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक सीएनआर राव कहते हैं कि उन्हें इसरो के पूजा की परंपरा ठीक नहीं लगती। लेकिन ये इसरो वैज्ञानिकों का अपना निर्णय है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को Chandrayaan-2 लॉन्च करने वाला है।

इसरो वैज्ञानिक अपने हर मिशन को लॉन्च करने से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं। वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं, ताकि उन्हें उनके मिशन में सफलता मिले। यह सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं करती बल्कि, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूसी वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक अंधविश्वास में भरोसा करते हैं। तरह तरह के टोटके करते हैं. आइए…जानते हैं दुनियाभर के वैज्ञानिकों के अंधविश्वास के बारे में…

रूसी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अंधविश्वास

स्पेस में जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब

रूसी अंतरिक्ष यात्री यान में सवार होने के पहले जो बस उन्हें लॉन्चपैड तक ले जाती है, उसमें चढ़ने से पहले पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब करते हैं। इस अंधविश्वास की शुरुआत 12 अप्रैल 1961 से हुई। जब यूरी गैगरीन नामक बैज्ञानिक अंतरिक्ष में जाने वाले थे। वे इस यात्रा के करने से पहले बेहद बेचैन थे। जिसके प्रेशर सेउहे बहुत तेज पेशाब लगी थी। उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवा कर पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब कर दिया। और उनका यह मिशन सफल रहा. तब से यह टोटका चल रहा है।

अंतरिक्ष यात्रा से पहले बजते हैं रोमांटिक गाने

अंतिरक्ष की यात्रा करने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बजाया जाता है संगीत की शुरुआत भी यूरी गैगरीन ने की थी। रॉकेट में बैठने के बाद उन्होंने मिशन कंट्रोल सेंटर से कोई संगीत बजाने को कहा। कंट्रोल सेंटर ने उनके लिए रोमांटिक गाने बजाए। तब से लेकर आज तक सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वही गाने बजते हैं जो गैगरीन के लिए बजे थे।

वो रॉकेट नहीं देखते अंतरिक्ष यात्री जिससे उन्हें जाना होता है

रूसी अंतरिक्ष यात्री जब रॉकेट पर बैठने के लिये जाते है तो वो उसे तब तक नहीं देखते, जब तक वे उसमें बैठ नहीं जाते। हालांकि उनकी ट्रेनिंग सिमुलेटेड रॉकेट में कराई जाती है.

गैगरीन के गेस्ट बुक में करना होता है सिग्नेचर

यूरी गैगरीन से जुड़ा एक अंदविश्वास और है कि वो यात्रा में जाने से पहले अपने ऑफिस में रखे गेस्ट बुक में हस्ताक्षर करके अंतरिक्ष में गए थे। तब से इसे लकी चार्म मानते हुए सभी अंतरिक्ष यात्री गैगरीन के गेस्ट बुक में सिग्नेचर करके यात्रा पर निकलते हैं.

हर सफल लॉन्च के बाद एक पौधा लगाया जाता है

रूस का बैकोनूर कॉस्मोड्रोम दुनिया का पहला और सबसे बड़ा लॉन्चपैड है। 50 सालों से ज्यादा समय से हर सफल लॉन्चिंग के बाद एक पौधा लगाया जाता है. बैकोनूर में इसे एवेन्यू ऑफ हीरोज़ कहते हैं. لعبة 21

हादसा न हो इसलिए कूलिंग पाइप पर लिखते हैं महिला का नाम

अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले रूसी कॉस्मोनॉट कूलिंग पाइप पर किसी महिला का नाम लिखते है ताकि हादसा न हो। कहते हैं कि एक बार किसी ने ये काम नहीं किया था इसलिए हादसे में 47 लोगों की मौत हो गई थी.

24 अक्टूबर को लॉन्च नहीं होता कोई रॉकेट

24 अक्टूबर 1960 और 1963 में बैकोनूर में लॉन्च से ठीक पहले दो बड़े हादसे हुए। और इस बड़े हादसे ने सैकड़ों लोगों की जान ली थी तब से लेकर आज तक इस काली तारीख 24 अक्टूबर को कोई लॉन्चिंग नहीं होती।

ISRO की पूजा, नई शर्ट, बेचैनी और अंधविश्वास

  • मंगलयान प्रोजेक्ट के समय जब भी मंगलयान को एक कक्षा से दूसरी कक्षा में डाला जाता था, तब मिशन निदेशक एस अरुणनन मिशन कंट्रोल सेंटर से बाहर आ जाते थे। क्योकि वो इस गतिविधियां को देखना नहीं चाहते। आप इसे अंधविश्वास मानो या कुछ और पर इससे मिशन सफल हुआ था।
  • मंगलयान मिशन के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो गए। तब प्रोटोकॉल था कि जब तक पीएम इसरो में रहेंगे तब तक कोई भी व्यक्ति मिशन कंट्रोल सेंटर के अंदर-बाहर नहीं आ जा सकेगा। लेकिन अरुणनन की आदतों के कारण उन्हें अंदर-बाहर आने-जाने की अनुमति मिली थी.
  • इसरो वैज्ञानिक हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं. वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं. العاب كازينو اون لاين
  • इसरो के एक पूर्व निदेशक हर रॉकेट लॉन्च के दिन एक नई शर्ट पहनते थे. अब भी ऐसा करने वाले कई वैज्ञानिक हैं. لعبة روليت مجانا
  • इसरो के सभी मशीनों और यंत्रों पर विभुती और कुमकुम से त्रिपुंड बना होता है, जैसा कि भगवान शिव के माथे पर दिखता है।

अमेरिकी एजेंसी NASA में 1960 से चल रही है मूंगफली खाने की प्रथा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA जब भी कोई मिशन लॉन्च करती है तब जेट प्रोप्लशन लेबोरेटरी में बैठे वैज्ञानिक मूंगफली खाते हैं. कहा जाता है कि 1960 के दशक में रेंजर मिशन 6 बार फेल हुआ। सातवें मिशन सफल हुआ तो कहा गया कि लैब में कोई वैज्ञानिक मूंगफली खा रहा था इसलिए सफलता मिली. तब से लेकर आज तक मूंगफली खाने की प्रथा चली आ रही है।

अमेरिका में दूसरी प्रथा यह है कि वहा मिशन को लॉन्च करने से पहले नाश्ते में सिर्फ अंडा भुर्जी और मांस मिलता है। ये प्रथा पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलन शेफर्ड और जॉन ग्लेन के समय से चली आ रही है.

Previous articleफिल्म सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार को हुई घातक जानलेवा बीमारी है इंटरव्यू में किया खुलासा
Next articleडीजीपी ने किया खुलासा, श्रीदेवी की मौत हादसा नहीं बल्कि मर्डर!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here