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कोल माइंस की 3 दिवसीय हड़ताल, देश में प्रतिदिन 80 हजार करोड़ का नुकसान

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सुरेन्द्र त्रिपाठी

उमरिया 3 जुलाई – केंद्र सरकार के खिलाफ कोल माइंस के कर्मचारी तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं कोल माइंस के कर्मचारी सरकार के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं बताया जा रहा है इस आंदोलन में केंद्रीय श्रम संगठनों में सभी पांचों मुख्य ट्रेड यूनियनों का योगदान बराबर माना जा रहा है वही कोल माइंस के मजदूरों ने सरकार के इस निर्णय से काफी आक्रोशित है, इस हड़ताल से उमरिया जिले में लगभग 5 करोड़ रुपये प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है देश भर में 80 हजार करोड़ का नुकसान प्रतिदिन हो रहा है।
उमरिया जिले के जोहिला एरिया के कोल माइंस के सामने खड़े यह सभी ट्रेड यूनियन के कोल माइंस कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं इन मजदूरों को सभी ट्रेड यूनियन का समर्थन प्राप्त है इस हड़ताल से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है अगर यह हड़ताल का यही रूप रहा तो आने वाले दिनों में बिजली संकट भी गहरा सकता है। इस मामले में देश की सरकार के अनुसांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश सचिव निरंजन सिंह कहे कि केंद्र की सरकार जो मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है भारतीय मजदूर संघ उसका विरोध करता आया है और करेगा, अगर जरूरत पड़ी तो अन्य क्षेत्रों में करेंगे और भी जरूरत हुई तो असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साथ रोड में भी उतरेंगे, उद्योग से असंगठित क्षेत्र तक को लेकर रोड में उतरेंगे, अभी हिसाब नहीं लगाए हैं लेकिन करोड़ों करोड़ का नुकसान हो रहा है टोटल लॉक डाउन रहेगा।


वहीं इस मामले में एच एम एस अर्थात हिन्द मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह कहे कि हमारे जोहिला एरिया में 1 दिन में 5 करोड़ का टर्न ओवर है 3 दिन में यहां 15 करोड़ का नुकसान होगा, और जो बड़े एरिया हैं जहां एक – एक दिन में 500 करोड़ का टर्न ओवर है इस तरह देश भर में 80 हजार करोड़ रुपये का प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है, इस तरह हिसाब लगाया जा सकता है कि कितने लाख करोड़ का नुकसान हो रहा है और मोदी जी के कान में जूं नही रेंग रहा है, पूरा का पूरा नुकसान करोना में समेट दे रहे हैं, ये नही बता रहे हैं कि हमारी तानाशाही के पीछे कितना नुकसान हुआ है, आज इस उद्योग को स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने ठेकेदारों से छीन कर मजदूरों को दिया था और मोदी जी आज उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रहे हैं, अडानी और अम्बानी को दे रहे हैं, ये उनकी तानाशाही के विरोध में हम लोग हड़ताल कर रहे हैं, आज आर एस एस का भाजपा का जो संगठन बी एम एस है वो तक विरोध कर रहा है तो सोच लीजिए कि कितना बड़ा संकट है।

गौरतलब है कि केंद्र की सरकार एक तरफ मजदूर, गरीब और जनहितैषी होने का दावा करती है वहीं दूसरी तरफ पूंजीपतियों के हाथ मे देश के उद्योगों को सौंप कर मजदूर विरोधी कार्य कर रही है जिसके कारण उसके खुद के संगठन के लोग विरोध करने में जुट गए हैं।

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