Home क्राइम रेत के अवैध कारोबार पर आखिर कब लगेगी लगाम?

रेत के अवैध कारोबार पर आखिर कब लगेगी लगाम?

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सुरेन्द्र त्रिपाठी

उमरिया 26 मई – जिले के जमुनिहा, महिमार, बिलाईकाप, बड़ेरी, बिलासपुर, हर्रवाह, गिलोथर, करुआ, अतरिया, मढिबाह, झाला टेकन, सलैया, उमरार नदी, ड़ेंगहरा नदी आदि जगहों से खुले आम अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन जोरों पर चल रहा है। शाम होते ही जब पूरा जिला रात्रिकालीन कर्फ्यू का पालन करता है तब रेत माफियों का तांडव शुरू होता है। दिन भर ट्रैक्टरों से रेत नदी से निकाल कर बाहर ढेर किया जाता है और रात में उसको गंतव्य तक पंहुचाया जाता है,

अवैध रेत का ढेर

इस काम मे छोटे से बड़े तक बराबर शामिल हैं। इंदवार क्षेत्र हो या मानपुर, पाली हो या करकेली जिले का कोई क्षेत्र अछूता नही है। हर क्षेत्र में माफिया सक्रिय हैं और खनिज विभाग के अधिकारी 4 – 5 किलोमीटर घूम कर अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं, रात 8 बजे से 10 बजे तक जिला खनिज अधिकारी एक राउंड मार कर अपनी गश्ती पूरी कर निद्रा में मग्न हो जाते हैं, जबकि बिलाईकाप में पूरे दिन खुले आम रोड के किनारे रेत का ढेर लगता रहता है, लेकिन उनकी नजर उधर नही जाती। यही हाल बिलासपुर और करकेली क्षेत्र का रहता है। पूर्व के कलेक्टर साहब तो रेत के धंधे में बदनाम हो गए थे। अब नवागत कलेक्टर साहब से लोग उम्मीद लगाए हैं कि इनके आने से सारे अवैध कामों पर अंकुश लगेगा। हालांकि कहीं न कहीं खनिज अधिकारी और उनके गुर्गों की सेटिंग का खेल चल रहा है, जिसके चलते खनिज माफिया निरंकुश होकर पूरी रात तांडव मचाते हैं। किसानों के खेत से गुंडई के दम पर गाड़ियां निकाल कर उसको भी चौपट करने में लगे हैं।

एक तरफ प्रदेश के मुखिया किसानों को अन्नदाता कहते हैं दूसरी तरफ किसान अपनी व्यथा जिले के अधिकारियों से कह कर थक चुका।कभी रात 12 बजे से तो कभी 3 बजे से सुबह 8 बजे तक निरंकुश और तूफानी गति से ट्रैक्टरों से अवैध परिवहन करते हैं। जिले के खनिज अधिकारी मान सिंह से जब भी बात किया जाता है तो हमेशा अनजान बनते हुए कहते हैं कि हमारी जानकारी में नही है हम देखते हैं, वहीं दूसरा रोना रोते हैं कि हमारे पास अमला नही है अपनी सुरक्षा कैसे करेंगे जबकि इस विषय मे जिले के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि जब हमसे बल मांगा जाएगा हम तत्काल उपलब्ध करवाएंगे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यदि खनिज अधिकारी बल लेंगे तो उनको अपने चहेतों पर कार्रवाई करनी होगी। ग्रामीणों के लिए उम्मीद की किरण तो अब नवागत कलेक्टर साहब ही हैं जो कुछ अच्छा कर सकते हैं।

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