Home क्राइम स्वास्थ्य समिति के सभापति जिला पंचायत सदस्य पर हुई एफआईआर

स्वास्थ्य समिति के सभापति जिला पंचायत सदस्य पर हुई एफआईआर

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उमरिया – जिला अस्पताल के सिविल सर्जन की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने जिला पंचायत सदस्य एवम स्वास्थ्य समिति के सभापति केशव वर्मा के विरुद्ध अपराध क्रमांक 267/23 धारा 353, 186, 506 एवम 3/4 मप्र चिकित्सक या चिकित्सा से सम्बन्धी व्यक्तियों की सुरक्षा अधिनियम 2008 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। घटना के बारे में सिविल सर्जन डॉ के सी सोनी ने बताया कि जिला पंचायत सदस्य केशव वर्मा की प्रसूता बहू अंकिता पति गौरव वर्मा उम्र करींब 26 वर्ष शुक्रवार की दोपहर करीब 3 बजे दर्द एवम कमज़ोरी के कारण जिला अस्पताल पहुंची थी, केशव वर्मा से बात हुई थी उनको खून की जरूरत थी लेकिन कोई डोनर नही होने के कारण उनकी बहू के लिए खून की व्यवस्था भी की गई और पीड़िता 8 माह की प्रसूता विधिवत इलाजरत रही है। रात करीब 10.30 बजे केशव वर्मा जिला अस्पताल पहुंचे,और अनाधिकृत रूप से लेबर रूम में जाकर बेहतर इलाज न होने के नाम पर ड्यूटी पर तैनात नर्सिग ऑफिसर से गाली गलौज कर बदसलूकी करने लगे और बोले अपने सिविल सर्जन को अभी बुलाओ हमको नही जानते हम जिला स्वास्थ्य समिति के सभापति हैं।

विवाद बढ़ता देख अस्पताल प्रांगड़ में सेवा दे रहे गार्ड भी मौके पर पहुंच गए लेकिन विवाद शांत नही हुआ, बल्कि और अधिक गहराता गया। जबकि लेबर रूम में पुरुषों का जाना पूर्णतः वर्जित है, किंतु केशव वर्मा बहु के स्वास्थ्य की जानकारी लेने बिना किसी से अनुमति लिए लेबर रूम में पहुंच गए, जिस पर डयूटी में तैनात नर्सिंग आफिसर ने आपत्ति जताई। जिसके चलते विवाद की स्थिति निर्मित हो गई और साथ में धमकी दे रहे थे कि अपने सिविल सर्जन को जल्दी बुलाओ नही तो तुम लोगो का हाथ पैर तुड़वाकर जिला अस्पताल में आग लगवा दूंगा।


इस मामले में सिविल सर्जन डॉ के सी सोनी, डॉक्टर संदीप सिंह, डॉक्टर राजीव लोचन द्विवेदी, डॉक्टर मुकुल तिवारी एवं अन्य डॉक्टर जिले के कलेक्टर को शिकायती पत्र देकर कोतवाली थाने में भी लिखित शिकायत दिए जिस पर जिला पंचायत सदस्य एवं स्वास्थ्य समिति के सभापति केशव वर्मा के विरुद्ध लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयाक्रांत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग समेत कई धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
देखना होगा पुलिस जांच में और क्या मामला सामने आता है, लेकिन इतना तो तय है कि अस्पतालों में डॉक्टर या ड्यूटीरत स्वास्थ्य कर्मचारी से बेहतर सुलूक किया जाए, जिससे अपने मरीज या भर्ती मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

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