दिल्ली के ध्रुव त्यागी को इंसाफ दिलाने के लिए 16 मई को बसई दारापुर के त्यागी धर्मशाला में महापंचायत का आयोजन किया गया…देश भर से लोग, दिल्ली के मोतीनगर पहुंचे…हर शख्स ध्रुव त्यागी को इंसाफ दिलाने की बात कर रहा था…लेकिन पुलिस के दबाव के चलते महापंचायत को श्रद्धांजलि सभा में बदलना पड़ा, महापंचायत को लेकर सोशल मीडिया में जिस तरह प्रचार-प्रसार किया गया…उसे लेकर पूरे देश से बड़ी संख्या में लोग बसई दारापुर गांव पहुंचे…इलाके के लोगों ने बताया कि सुबह से ही यहां लोगों का आना-जाना शुरू हो गया था…पुलिस ने भी बसई दारापुर की घेराबंदी कर चाकचौबंद इंतजाम कर रखा था ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके…
लेकिन जिस जगह पर यह महापंचायत होनी थी, वह इतनी बड़ी नहीं थी कि सभी लोग उमसें शामिल हो सकें…फिर भी दूर-दूर से पहुंचे कुछ लोगों को श्रद्धांजलि सभा में बैठाया गया जबकि बाकी के लोग बाहर खड़े होकर नारेबाजी करते रहे…सभा के दौरान कुछ हिंदूवादी संगठनों ने भी इसमें पैठ बनाने की कोशिश की…और इसे दूसरा रंग देना चाहा…लेकिन ध्रुव त्यागी के घरवालों और वहां मौजूद उनके रिश्तेदारों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया…हालांकि कुछ नौजवानों ने नारेबाजी करते हुए यहां की मुख्य सड़क को जाम कर दिया…दिल्ली में वैसे भी वाहनों की तादाद ज्यादा है इसलिए थोड़ी ही देर में दूर-दूर तक जाम लग गया…बादमें वहां मौजूद पुलिस ने लोगों को समझा बुझा कर सड़क को खाली करवाया…लेकिन अब सवाल उठता है कि ध्रुव त्यागी को इंसाफ दिलाने के लिए हुई इस महापंचायत से क्या नतीजा निकला…क्या महापंचायत ने आंदोलन की कोई दिशा या दिशा तय की?…तो श्रद्धांजलि सभा में शामिल लोगों का कहना था कि महापंचायत किसी एक नतीजे पर नहीं पहुंची है…क्योंकि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं था…दुख की घड़ी में सभी लोग सांत्वना देने पहुंचे थे…लिहाजा हो सकता है कि आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए किसी और दिन फिर से महापंचायत बुलाई जाए…जिसका आयोजन दिल्ली के किसी बड़े स्टेडियम या फिर खुले मैदान में किया जाएगा…ताकि सभी लोग उसमें शामिल हो सकें।