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घटिया चावल की जांच करने आई एफ सी आई की टीम, मीडिया से बनाई दूरी, जांच संदेह के घेरे में

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सुरेन्द्र त्रिपाठी

उमरिया 3 सितम्बर – दमोह जिले में पी डी एस की दुकानों में घटिया चावल बंटने के बाद केंद्र सरकार ने लिया संज्ञान, उमरिया जिले में भी एफ सी आई की टीम आई जांच करने, जांच टीम कैमरे के सामने आने से मना कर दी वहीं नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक नियमित जांच बता कर अपना पल्ला झाड़ते नजर आए। वहीं कोविड 19 के मद्देनजर जिले से दूसरे जिलों में घटिया चावल भेजा गया जिसकी सैम्पलिंग करने 3 सदस्यीय टीम आई।

भागते टीम के सदस्य


उमरिया जिले में घटिया चावल की शिकायत मिलने पर जांच करने एफ सी आई की टीम आई, निजी वेयर हाउस में नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा मिलरों से धान की मिलिंग करवा कर सारा चावल भंडारित करवाया गया है वहीं जिले में लगभग 5 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी जिसकी मिलिंग जिले के 16 मिलरों द्वारा करवाई गई और मार्च से मई तक जो मिलिंग की गई वह चावल निहायत ही घटिया किस्म का रहा और अप्रवासी मजदूरों को प्रदेश सरकार द्वारा निःशुल्क रूप से दिया गया लेकिन सारा चावल छतरपुर, सागर, दमोह, डिंडोरी आदि जिलों में भेजा गया। हालांकि उसमें नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक द्वारा 8 हजार रुपये प्रति लाट लेकर सारे चावल को बाहर का बाहर ही भिजवा दिया गया। अभी भी जो चावल जिले में भंडारित करवाया गया उसमें भी घटिया किस्म का चावल स्ट्रेक के भीतर रखवाया गया है और कुछ ठीक किस्म के चावलों की बारी स्ट्रेक के बाहरी परत में रखवाया गया है जिसमे कभी कोई जांच करने आये तो अमानक और तय मात्रा से अधिक ब्रोकेन का चावल बाहर न मिल सके। इस मामले में जब जांच करने आई 3 सदस्यीय दल से बात करने का प्रयास किया गया तो वो भागते नजर आए, हालांकि नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक बताये कि सतना से एफ सी आई के गणेश सिंह, अमित सिंह और कोई दुबे जी आये हैं।

सत्य देव विरहा

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक सत्य देव विरहा बताये कि यह रूटीन जांच है, एफ सी आई की टीम आई है, वहीं जब पूंछा गया कि केंद्र सरकार द्वारा घटिया चावल वितरण के मामले पर संज्ञान लिया गया है तो क्या उसके मद्देनजर यह टीम आई है तो कहे कि हां वही है, फिर जब पूंछा गया कि आपके ऊपर लोगों ने आरोप लगाया है कि 8 हजार रूपये प्रति लाट लेकर चावल रखवाए हैं तो उनका दम फूलने लगा और कहे कि यह गलत है ऐसा आरोप तो कोई भी लगा सकता है फिर भी अपनी सफाई देते रहे।


गौरतलब है कि नागरिक आपूर्ति निगम और मिलर के बीच की सांठ गांठ से गरीब और आदिवासियों को घटिया चावल खाना पड़ता है और वहीं मिलर, नागरिक आपूर्ति निगम, खाद्य विभाग, अपनी कमाई में व्यस्त है वहीं जांच दल भी संदेह के घेरे में है, ऐसे में क्या उम्मीद की जा सकती है कि जिले में पी डी एस के खाद्यान्न का स्तर सुधरेगा, इतना ही नहीं जिले के सहकारी समिति और उपभोक्ता दोनो ही जिला आपूर्ति अधिकारी के पास शिकायत कर चुके हैं और जब मामला जिले के कलेक्टर तक पहुंचा था तो टीम गठित कर जांच भी करवाई गई थी, सहायक आपूर्ति अधिकारी जांच कर अपनी रिपोर्ट भी सौंपे थे लेकिन जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम, मिलर और जिला आपूर्ति अधिकारी मिल बांट कर सारा मामला दबा कर किनारे कर दिए। ऐसे में आवश्यकता है इंदौर की तर्ज पर नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक, जिला आपूर्ति अधिकारी के यहां भी छापा मार कार्यवाई कर उनकी भी संपत्ति की जांच करवाई जाय तो सारा खुलासा हो जाएगा।

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